Category: "मोटर यान अधिनियम १९८८"
धारा ३ : चालन-अनुप्ति की आवश्यकता :
मोटर यान अधिनियम १९८८ अध्याय २ : मोटर यानों के ड्राइवरों का अनुज्ञापन : धारा ३ : चालन-अनुप्ति की आवश्यकता : १) कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान में मोटर यान तभी चलाएगा जब उसके पास यान चलाने के लिए उसे प्राधिकृत करते हुए उसके नाम में दी गई प्रभावी… more »
धारा २ख : १.(नवपरिवर्तन का संवर्धन :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २ख : १.(नवपरिवर्तन का संवर्धन : केंद्रीय सरकार, इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं, यानीय इंजीनियरी, यांत्रिक रुप से नोदित यानों और… more »
धारा २क : १.(ई-गाडी और ई-रिक्शा :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २.क : १.(ई-गाडी और ई-रिक्शा : १)धारा ७ की उपधार (१) के परंतुक और धारा ९ की उपधारा (१०) में जैसा अन्यथा उपबंधित है, उसके सिवाय, इस अधिनियम के उपबंध ई-गाडी और ई-रिकशा को लागू होंगे । २) इस धारा के प्रयोजनों के लिए ई- गाडी या ई-… more »
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २ : परिभाषाएं : इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो ,- १.(१) रुपांतरित यान से कोई मोटर यान अभिप्रेत है, जिसे या तो विनिर्दिष्टत: डिजाइन और विनिर्मित किया गया है या जिसमें किसी शारीरिक विकार या नि:शक्तता से… more »
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १
मोटर यान अधिनियम १९८८ (१९८८ का अधिनियम संख्यांक ५९) अध्याय १ प्रारंभिक धारा १ : संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ : १)इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम मोटर यान अधिनियम, १९८८ है । २)इसका विस्तार सम्पर्ण भारत पर है । ३)यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय… more »