भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ४७७ :
विल, दत्तकग्रहण, प्राधिकार पत्र या मूल्यवान प्रतिभूति को कपटपूर्वक रद्द, नष्ट, आदि करना :
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : विल, आदि को कपटपूर्वक नष्ट या विरुपित करना या उसे नष्ट या विरुपित करने का प्रयत्न करना, या छिपाना ।
दण्ड :आजीवन कारावास ,या सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट (राज्य संशोधन, मध्यप्रदेश : सेशन न्यायालय) ।
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जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से, या लोक को या किसी व्यक्ती को नुकसान या क्षति कारित करने के आशय से, किसी ऐसी दस्तावेज की, जो विल या पुत्र के दत्तक ग्रहण करने का प्राधिकार पत्र या कोई मूल्यवान प्रतिभूति हो, या होना तात्पर्यित हो, रद्द, नष्ट या विरुपित करेगा, या रद्द नष्ट या विरुपित करने का प्रयत्न करेगा, या छिपाएगा या छिपाने का प्रयत्न करेगा या ऐसी दस्तावेज के विषय में रिष्टि करेगा, वह १.(आजीवन कारावास) से , या दोनों में से भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
राज्य संशोधन :
मध्यप्रदेश :
धारा ४७६ के अधीन अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
#Ipc 1860 in Hindi section 477
#Section 477 of Indin Penal Code 1860 Hindi
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