भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ४९७ :
१. (जारकर्म (परगमन / अन्यगमन) :
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : जारकर्म ।
दण्ड :पाँच वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : स्त्री का पति ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई ऐसे व्यक्ती के साथ, जो कि किसी अन्य पुरुष की पत्नी है, और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है, उस पुरुष की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना ऐसा मैथुन करेगा जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता, वह जारकर्म के अपराध का दोषी होगा, और वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा । ऐसे मामले में पत्नी दुष्प्रेरक के रुप में दण्डनीय नहीं होगी ।)
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१. (डब्ल्यू पी (सीआरएल) १९४/२०१७ जोसेप शाइन विरुद्ध युनियन ऑफ इंडिया. सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 497 को रद्द कर दिया ।
#Ipc 1860 in Hindi section 497
#Section 497 of Indin Penal Code 1860 Hindi
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