भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ५०१ :
मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण(अंकित) करना :
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : क) राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल या संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासक या मंत्री के विरुद्ध मानहानिकारक जानते हुए ऐसी बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना जो उसके लोककृत्यों के निर्वहन में उसके आचरण के बारे में हो, जब लोक अभियोजक ने परिवाद संस्थित किया हो ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसकी मानहानि की गई है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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अपराध : ख) किसी अन्य मामले में मानहानिकारक जानते हुए, किसी बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसकी मानहानि की गई है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी बात को यह जानते हुए, या विश्वास करने का सही (अच्छा) कारण रखते हुए कि ऐसी बात किसी व्यक्ती के लिए मानहानिकारक है, मुद्रीत करेगा या उत्र्कीर्ण (अंकित) करेगा, वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सेकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
#Ipc 1860 in Hindi section 501
#Section 501 of Indin Penal Code 1860 Hindi
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