भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
१.(१८६० का अधिनियम संख्यांक ४५)
(६ अक्तूबर १८६०)
अध्याय १ :
प्रस्तावना :
उद्देशिका :
२.(भारत) के लिए एक साधारण दण्ड संहिता का उपबंध करना समीचीन है; अत: यह निम्नलिखित रुप में अधिनियमित किया जाता है :-
धारा १ :
संहिता का नाम और विस्तार :
यह अधिनियम भारतीय दण्ड संहिता कहलाएगा और इसका ३. (विस्तार ४. (***) सम्पूर्ण भारत पर होगा) ।
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१. भारतीय दण्ड संहिता का विस्तार बरार विधि अधिनियम १९४१ (१९४१ का ४) द्वारा बरार पर किया गया है और इसे निम्नलिखित स्थानों पर प्रवृत्त घोषित किया गया है :-
संथाल परगना व्यवस्थापन विनियम (१८७२ का ३) की धारा ३ द्वारा संथाल परगनों पर ;
पंथ पिपलोददा विधि विनियम १९२९ (१९२९ का १) की धारा २ तथा अनुसूची द्वारा पंथ पिपलोददा पर;
खोडमल विधि विनियम १९३६ (१९३६ का ४) की धारा ३ और अनुसूची द्वारा खोडमल जिले पर;
आंगूल विधि विनियम १९३६ (१९३६ का ५) की धारा ३ और अनुसूची द्वारा आंगूल जिले पर;
इसे अनुसूचित जिला अधिनियम १८७४ (१८७४ का १४) की धारा ३ (क) के अधीन निम्नलिखित जिलों में प्रवृत्त घोषित किया गया है, अर्थात:-
संयुक्त प्रान्त तराई जिले - देखिए भारत का राजपत्र (अंग्रेजी) १८७६ भाग १ पृ० ५०५ हजारीबग, लोरददग्गा के जिले (जो अब रांची जिले के नाम से ज्ञात है, - देखिए कलकत्ता राजपत्र (अंग्रेजी) १८९९ भाग १ पृ० ४४ और मानभूम और परगना) । दालभूम तथा सिंहभूम जिलों में कोलाहल - देखिए भारत का राजपत्र (अंग्रेजी) १८८१ भाग १ पृ० ५०४ ।
उपरोक्त अधिनियम की धारा ५ के अधीन इसका विस्तार लुशाई पहाडियों पर किया गया है - देखिए भारत का राजपत्र (अंग्रेजी) १८९८ भाग २ पृ० ३४५।
इस अधिनियम का विस्तार गोवा, दमण तथा दीव पर १९६२ के विनियम सं० की धारा ३ और अनुसूची द्वारा; दादरा तथा नागार हवेली पर १९६३ के विनियम सं० ६ की धारा २ तथा अनुसूची १ द्वारा; पांडिचरी पर १९६३ के विनियम सं० ७ की धारा ३ और अनुसूची १ द्वारा और लकादीव मिनिकोय और अमीनदीवी द्वीप पर १९६५ के विनियम सं० ८ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा किया गया है ।
२. ब्रिटिश भारत शब्द अनुक्रमश: भारतीय स्वतंत्रता (केन्द्रीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८ विधि अनुकूलन आदेश १९५० और १९५१ के अधिनियम सं० ३ को धारा ३ और अनुसूची द्वारा प्रतिस्थापित किए गए हैं ।
३. मूल शब्दों का संशोधन अनुक्रमश: १८९१ के अधिनियम सं० १२ की धारा २ और अनुसूची १ भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७, भारतीय स्वतंत्रता (केन्द्रीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८ विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा किया गया है ।
४. २०१९ के अधिनियम सं० ३४ की धारा ९५ और अनुसूची द्वारा जम्मू-कश्मीय राज्य के सिवाय इन शब्दोंका लोप किया गया । (३१-१०-२०१९ से)
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