भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा १९ :
न्यायाधीश :
न्यायाधीश शब्द का अर्थ न केवल हर ऐसे व्यक्ती का सुचित करना या द्योतक है, जो पद रुप से न्यायाधीश हो, किन्तु उस हर व्यक्ती का भी सुचित करना या द्योतक है,
जो किसी विधी कार्यवाही में, चाहे वह सिविल(दिवानी या नागरी) या दाण्डिक, अंतिम निर्णय या ऐसा निर्णय, जो उसके विरुद्ध अपील न होने पर अंतिम हो जाए या ऐसा निर्णय, जो किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा पुष्ट किए जाने पर अंतिम हो जाए, देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो, अथवा
जो उस व्यक्ती -निकाय में से एक हो, जो व्यक्ती- निकाय(संस्था) ऐसा निर्णय देने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो।
दृष्टांत :
क) सन १८५९ के अधिनियम १० के अधीन किसी वांद में अधिकारिता का प्रयोग करने वाला कलक्टर न्यायाधीश है ।
ख) किसी आरोप के संबंध में, जिसके लिए उसे जुर्माना या कारावास का दण्ड देने की शक्ति प्राप्त है, चाहे उसकी अपील होती हो या न होती हो, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश है ।
ग) १.( मद्रास संहिता के सन १८१६) के विनियम ७ के अधीन वादों का विचारण करने की और अवधारण करने की शक्ति रखने वाली पंचायत का सदस्य न्यायाधीश है ।
घ) किसी आरोप के संबंध में, जिनके लिए उसे केवल अन्य न्यायालय को विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति प्राप्त है, अधिकारिता का प्रयोग करने वाला मजिस्ट्रेट न्यायाधीश नहीं है ।
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१. मद्रास सिविल न्यायालय अधिनियम १८७३ (१८७३ का ३) द्वारा निरसित ।
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