भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ३ :
भारत से बाहर किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड :
१.(भारत के बाहर किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ती किसी २.(भारतीय विधि) के अनुसार विचारण का पात्र हो, ३.(भारत) से बाहर किए गए कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबंधो के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य १.(भारत) के भीतर किया गया था ।
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१. उक्त राज्यक्षेत्र मूल शब्दों का संशोधन अनुक्रमश: भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७, स्वतंत्रता (केन्दीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८, विधि अनुकूलन आदेश १९५० और १९५१ सं० ३ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा किया गया है ।
२. भारतीय शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा सपरिषद भारत के गवर्नर जनरल द्वारा पारित विधि के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. उक्त राज्यक्षेत्र की सीमा मूल शब्दों का संशोधन अनुक्रमश: भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७, स्वतंत्रता (केन्दीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८, विधि अनुकूलन आदेश १९५० और १९५१ सं० ३ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा किया गया है ।
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