किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम २०१५
अध्याय १० :
प्रकिर्ण :
धारा १०१ :
अपीलें ।
१) इस अधिनियम के उपबंधो के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के अधीन समिति या बोर्ड द्वारा किए गए किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, ऐसा आदेश किए जाने की तारीख से तीस दिन के भीतर, पोषण, देखरेख और प्रवर्तकता पश्व देखरेख संबंधी समिति के ऐसे विनिाचयों के सिवाय, जिनके संबंध में अपील जिला मजिस्ट्रेट को होगी, बालक न्यायालय में अपील कर सकेगा :
परन्तु, यथास्थिति, बालक न्यायालय या जिला मजिस्ट्रेट, तीस दिन की उक्त अवधि के अवसान के पश्चात् अपील ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी को पर्याप्त कारणों से समय पर अपील करने से निवारित किया गया था और ऐसी अपील का विनिश्चय तीस दिन की अवधि के भीतर किया जाएगा ।
२) अधिनियम की धारा १५ के अधीन किसी जघन्य अपराध का प्रारंभिक निर्धारण करने के पश्चात्, बोर्ड द्वारा पारित किसी आदेश के विरुद्ध अपील सेशन न्यायालय को हागी और वह न्यायालय अपील का विनिश्चय करते समय अनुभवी मनोचिकित्सकों और चिकित्सा विशेषज्ञों की, उनसे भिन्न जिनकी सहायता बोर्ड द्वारा उक्त धारा के अधीन आदेश पारित करने में अभिप्राप्त की जा चुकी है सहायता ले सकेगा ।
३) (क) ऐसे किसी बालक के संबंध में, जिसके बारे में यह अभिकथन है कि उसने ऐसा कोई अपराध किया है, जो ऐसे किसी बालक द्वारा, जिसने सोलह वर्ष की आयु पूरी कर ली है या जो सोलह वर्ष से अधिक आयु का है, किए गए जघन्य अपराध से भिन्न है, बोर्ड द्वारा किए गए दोषमुक्ति के आदेश; या
ख) समिति द्वारा, इस निष्कर्ष के संबंध में कि वह व्यक्ति ऐसा बालक नहीं है जिसे देखरेख और संरक्षा की आवश्यकता हो, किए गए किसी आदेश,
के विरुद्ध अपील नहीं होगी ।
४) इस धारा के अधीन अपील में पारित सेशन न्यायालय के किसी आदेश के विरुद्ध द्वितीय अपील नहीं होगी ।
५) बालक न्यायालय के आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष अपील फाईल कर सकेगा ।
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