मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १९७ :
प्राधिकार के बिना यान ले जाना :
१) जो कोई किसी मोटर यान को या उसके स्वामी की सहमति प्राप्त किए बिना या अन्य विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना ले जाएगा और चलाएगा, वह कारावास से, जो तीन मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से, जो पांच सौ रूपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दण्डनीय होगा :
परन्तु कोई भी व्यक्ति इस धारा के अधीन उस दशा में दोषसिध्द न किया जाएगा जब न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि ऐसे व्यक्ति ने ऐसे समुचित विश्वास से कार्य किया है कि उसे विधिपूर्ण प्राधिकार प्राप्त है अथवा ऐसे समुचित विश्वास से कार्य किया है कि यदि उसने स्वामी की सहमति मांगी होती तो मामले की परिस्थितियों में स्वामी ने अपनी सहमति दे दी होती ।
२)जो कोई, विधिविरूध्द रूप से, बलपूर्वक या बल की धमकी द्वारा या अन्य प्रकार के अभित्रास के द्वारा, किसी मोटर यान को छीन लेता है या उस परनियंत्रण करता है, वह कारावास से,जो तीन मास तक का हो सकेगा, या जुर्माने से, जो पांस सौ रूपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा ।
३)जो कोई किसी मोटर यान के संबंध में उपधारा (१) या उपधारा (२) में निर्दिष्ट कोई कार्य करने का प्रयास करेगा या किसी ऐसे कार्य को करने का दुष्प्रेरण करेगा, उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने भी, यथास्थिति, उपधारा (१) या उपधारा (२) के अधीन अपराध किया है ।
#Motor Vehicles Act 1988 Hindi section 197 #MVActHindi Section 197
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