सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश २ :
नियम ३ :
वाद-हेतुकों का संयोजन :
१) उसके सिवाय जैसा अन्यथा उपबन्धित है, वादी उसी प्रतिवादी या संयुक्तत: उन्हीं प्रतिवादियों के विरुद्ध कई वाद-हेतुक एक हीं वाद में संयोजित कर सकेगा और एसे वाद-हेतुक रुखने वाले कोई भी वादी जिनमें वे उसी प्रतिवादी या संयुक्तत: उन्हीं प्रतिवादियों के विरुद्ध संयुक्तत: हितबद्ध हों, ऐसे वाद-हेतुकों को एक ही वाद में संयोजित कर सकेंगे ।
२) जहां वाद-हेतुक संयोजित किए जाते है, वहां वाद के सम्बन्ध में न्यायालय की अधिकारिता संकलित विषय-वस्तुओं की उस रकम या मूल्य पर निर्भर होगी जो वाद के संस्थित किए जाने की तारीख पर है ।
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