सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश २ :
नियम ४ :
स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए केवल कुछ दावों का संयोजित किया जाना :
जब तक कि न्यायालय की इजाजत न हो स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए वाद में निम्नलिखित के सिवाय कोई भी वाद-हेतुक संयोजित नहीं किया जाएगा -
क) उस दावाकृत सम्पत्ति या उसके किसी भाग के अन्त:कालीन लाभों या भाटक की बकाया के लिए दावे ;
ख) जिस संविदा के अधीन वह संपत्ति या उसका कोई भाग धारित है उसके भंग के लिए नुकसानी के लिए दावे ; तथा
ग) वे दावे जिनमें चाहा गया अनुतोष उसी वाद-हेतुक पर आधारित है :
परन्तु इस नियम की किसी भी बात के बारे में यह नहीं समझा जाएगा कि यह पुरोबन्ध या मोचन के किसी वाद में के किसी भी पक्षकार को यह मांग करने से निवारित करती है कि बन्धक-सम्पत्ति का उसे कब्जा दिलाया जाए ।
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