सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ३४ :
नियम ३ :
पुरोबन्ध वाद में अन्तिम डिक्री :
१) जहां बन्धक सम्पत्ति का मोचन कराने के सभी अधिकारों से प्रतिवादी को विवर्जित करने वाली अन्तिम डिक्री पारित किए जाने के पूर्व प्रतिवादी नियम २ के उपनियम (१) के अधीन अपने द्वारा शोध्य सभी रकमें न्यायालय में जमा कर देता है वहां न्यायालय ऐसी अन्तिम डिक्री प्रतिवादी के इस निमित्त किए गए आवेदन पर पारित करेगा जो -
क) प्रारम्भिक डिक्री में निर्दिष्ट दस्तावेजों को परिदत्त करने के लिए आदेश वादी को देगी ,
और यदि आवश्यक हो तो -
ख) उक्त डिक्री में यथानिर्दिष्ट बन्धक सम्पत्ति को प्रतिवादी के खर्चें पर प्रति-अन्तरित करने के लिए आदेश वादी को देगी,
और यदि आवश्यक हो तो -
ग) प्रतिवादी का कब्जा सम्पत्ति पर कराने के लिए भी आदेश वादी को देगी ।
२) जहां उपनियम (१) के अनुसार संदाय नहीं किया गया है वहां वादी द्वारा इस निमित्त किए गए आवेदन पर न्यायालय यह घोषणा करने वाली कि प्रतिवादी और उससे व्युत्पन्न अधिकार के द्वारा या उसके अधीन दावा करने वाले सभी व्यक्ति बन्धक सम्पत्ति का मोचन कराने के सभी अधिकार से विवर्जित किए जाते है और यदि आवश्यक हो तो प्रतिवादी को यह आदेश भी देने वाली कि वह सम्पत्ति पर कब्जा वादी को दे दे, अन्तिम डिक्री पारित करेगा ।
३) उपनियम (२) अधीन अन्तिम डिक्री के पारित किए जाने पर वे सभी दायित्व, जिनके अधीन प्रतिवादी बन्धक की बाबत है या वाद के कारण है, उन्मोचित कर दिए गए समझे जाएंगे ।
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