सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ३ :
मान्यताप्राप्त अभिकर्ता और प्लीडर :
नियम १ :
उपसंजातियां, आदि स्वयं या मान्यताप्राप्त अभिकर्ता द्वारा या प्लीडर द्वारा की जा सकेंगी :
किसी भी न्यायालय में या उससे कोई भी ऐसी उपसंजाति, आवेदन या कार्य, जिसे ऐसे न्यायालय में करने के लिए कोई पक्षकार विधि द्वारा अपेक्षित या प्राधिकृत है, वहां के सिवाय जहां तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा अभिव्यक्त रुप से अन्यथा उपबन्धित हो, पक्षकार द्वारा स्वयं या उसके मान्यताप्राप्त अभिकर्ता द्वारा या उसकी ओर से, २.(यथास्थिति, उपसंजात होने वाले, आवेदन करने वाले या कार्य करने वाले) उसके प्लीडर द्वारा किया जा सकेगा :
परन्तु यदि न्यायालय ऐसा निदिष्ट करे तो ऐसी उपसंजाति स्वयं पक्षकार द्वारा की जाएगी ।
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१. १९२६ के अधिनियम सं. २२ की धारा २ द्वारा कार्य करने के लिए सम्यक् रुप से नियुक्त के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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