सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ४१ :
नियम २० :
सुनवाई को स्थगित करने और ऐसे व्यक्तियों को जो हितबद्ध प्रतीत होते हों, प्रत्यर्थी बनाए जाने के लिए निर्दिष्ट करने की शक्ति :
१.(१)) जहां सुनवाई में न्यायालय में न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि कोई व्यक्ति उस न्यायालय में वाद में पक्षकार था जिसकी डिक्री की अपील की गई है किन्तु जो अपील में पक्षकार नहीं बनाया गया है, अपील के परिणाम में हितबद्ध है, वहां सुनवाई को न्यायालय अपने द्वारा नियत किए जाने वाले भविष्यवर्ती दिन के लिए स्थगित कर सकेगा और यह निदेश दे सकेगा कि ऐसा व्यक्ति प्रत्यर्थी बनाया जाए ।
२.(२) अपील के लिए परिसीमाकाल की समाप्ति के पश्चात् इस नियम के अधीन कोई प्रत्यर्थी नहीं जोडा जाएगा जब तक कि न्यायालय, ऐसे कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएंगे खर्चे सम्बन्धी ऐसे निबन्धनों पर जो वह ठीक समझे,वैसा करने की अनुज्ञा नहीं हे देता ।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ८७ द्वारा (१-२-१९७७ से) नियम २० को उसके उपनियम (१) के रुप में पुन: संख्यांकित किया गया ।
२. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ८७ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
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