सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ४३ :
नियम १-क :
१.(डिक्रियों के विरुद्ध अपील में के ऐसे आदेशों पर आक्षेप करने का अधिकार जिनकी अपील नहीं की जा सकती :
१) जहां इस संहिता के अधीन कोई आदेश किसी पक्षकार के विरुद्ध किया जाता है और तदुपरान्त निर्णय ऐसे पक्षकार के विरुद्ध सुनाया जाता है और डिक्री तैयार की जाती है वहां ऐसा पक्षकार डिक्री के विरुद्ध अपील में प्रतिवाद कर सकेगा कि ऐसा आदेश नही किया जाना चाहिए था और निर्णय नहीं सुनाया जाना चाहिए था ।
२) ऐसी डिक्री के विरुद्ध अपील में जो समझौता अभिलिखित करने के पश्चात् या समझौता अभिलिखित किया जाना नामंजूर करने के पश्चात् वाद में पारित की गई है, अपीलार्थी को इस आधार पर डिक्री का प्रतिवाद करने की स्वतंत्रता होगी कि समझौता अभिलिखित किया जाना चाहिए था या नहीं किया जाना चाहिए था ।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ८९ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
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