सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ४५ :
नियम १४ :
अपर्याप्त पाए जाने पर प्रतिभूति का बढाया जाना :
१) जहां दोनों में से किसी भी पक्षकार द्वारा की गई प्रतिभूति अपील के लम्बित रहने के दौरान में किसी भी समय अपर्याप्त प्रतीत हो वहां न्यायालय दूसरे पक्षकार के आवेदन पर अतिरिक्त प्रतिभूति अपेक्षित कर सकेगा ।
२) न्यायालय द्वारा यथा अपेक्षित अतिरिक्त प्रतिभूति के दिए जाने में व्यतिक्रम होने पर -
क) उस दशा में जिसमें मूल प्रतिभूति अपीलार्थी द्वारा दी गई थी, न्यायालय उस डिक्री का जिसकी अपील की गई है, निष्पादन प्रत्यर्थी के आवेदन पर ऐसे कर सकेगा मानो अपीलार्थी ने ऐसे प्रतिभूति न दी हो ;
ख) उस दशा में जिसमें मूल प्रतिभूति प्रत्यर्थी द्वारा दी गई थी, न्यायालय डिक्री का अतिरिक्त निष्पादन जहां तक सम्भव हो सके, रोक देगा और पक्षकारों को उसी स्थिति में ले आएगा जिसमें वे उस समय थे जब वह प्रतिभूति दी गई थी जो अपर्याप्त प्रतीत होती है या अपील की विषय-वस्तु की बाबत ऐसा निदेश देगा जो वह ठीक समझे ।
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