सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ४५ :
नियम ९-क :
१.(मृत पक्षकारों की दशा में सूचना दिए जाने से अभिमुक्ति देने की शक्ति :
इन नियमों की किसी भी बात के बारे में जो विरोधी पक्षकार या प्रत्यर्थी पर किसी भी सूचना की तामील या किसी सूचना का उसे दिया जाना अपेक्षित करती है यह नहीं समझा जाएगा कि वह मृत विरोधी पक्षकार या मृत प्रत्यर्थी के विधिक प्रतिनिधि पर किसी सूचना की तामील या उसे ऐसी किसी सूचना का दिया जाना उस दशा में भी अपेक्षित करती है जिसमें ऐसा विरोधी पक्षकार या प्रत्यर्थी उस न्यायालय में जिसकी डिक्री परिवादित है, सुनवाई के समय या उस न्यायालय की डिक्री से पश्चात्वर्ती किन्हीं कार्यवाहियों में उपसंजात नहीं हुआ है :
परन्तु नियम ३ के उपनियम (२) के अधीन और नियम ८ के अधीन सूचनाएं उस जिले के न्यायाधीश के न्याय सदन में जिस जिले में वाद मूलत: लाया गया था, किसी सहज-दृश्य स्थान में लगा कर दी जाएगी और ऐसे समाचा-पत्रों में जो न्यायालय निदिष्ट करे, प्रकाशन द्वारा दी जाएगी ।)
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१. १९२० के अधिनियम २६ की धारा ४ द्वारा अन्त:स्थापित ।
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