सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ४६ :
नियम ७ :
लघुवादों में अधिकारिता सम्बन्धी भूल के अधीन की गई कार्यवाहियों को पुनरीक्षण के लिए निवेदित करने की जिला न्यायालय की शक्ति :
१) जहां जिला न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि उसका अधीनस्थ न्यायालय यह गलत धारणा करने के कारण कि वाद लघुवाद न्यायालय द्वारा संज्ञेय है या इस प्रकार संज्ञेय नहीं है अपने में विधि द्वारा निहित की गई अधिकारिता का प्रयोग करने में असफल रहा है या इस प्रकार निहित न की गई अधिकारिता का प्रयोग कर चुका है वहां जिला न्यायालय इस बारे में कि वाद की प्रकृति की बाबत अधीनस्थ न्यायालय की राय गलत है अपने कारणों के कथन सहित अभिलेख को उच्च न्यायालय को निवेदित कर सकेगा और यदि पक्षकार द्वारा अपेक्षित किया जाए तो निवेदित करेगा ।
२) अभिलेख और कधन की प्राप्ति पर उच्च न्यायालय मामले में ऐसा आदेश कर सकेगा जो वह ठीक समझे ।
३) ऐसे मामले में जो उच्च न्यायालय को इस नियम के अधीन निवेदित किया गया है, डिक्री की पश्चात्वर्ती किन्हीं भी कार्यवाहियों के बारे में उच्च न्यायालय ऐसा आदेश कर सकेगा जो परिस्थितियों में उसे न्यायसंगत और उचित प्रतीत हों ।
४) जिला न्यायालय का अधीनस्थ न्यायालय ऐसी अध्यपेक्षा का अनुपालन करेगा जो जिला न्यायालय इस नियम के प्रयोजनों के लिए किसी अभिलेख या जानकारी के लिए करे ।
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