सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ५ :
नियम १७ :
जब प्रतिवादी तामील का प्रतिग्रहण करने से इंकार करे या न पाया जाए, तब प्रक्रिया :
जहां प्रतिवादी या उसका अभिकर्ता या उपरोक्त जैसा अन्य व्यक्ति अभिस्वीकृति पर हस्ताक्षर करने से इंकार करता है, या जहां तामील करने वाला अधिकारी सभी सम्यक् और युक्तियुक्त तत्परता बरतने के पश्चात् ऐसे प्रतिवादी को न पा सके, १.(जो अपने निवासस्थान से उस समय अनुपस्थित है, जब उस पर समन की तामील उसके निवासस्थान पर की जानी है और युक्तियुक्त समय के भीतर उसके निवासस्थान पर पाए जाने की संभावना नहीं है) और ऐसा कोई अभिकर्ता नहीं है जो समन की तामील का प्रतिग्रहण उसकी ओर से करने के लिए सशक्त है और न कोई ऐसा अन्य व्यक्ति है जिस पर तामील की जा सके वहां तामील करने वाला अधिकारी उस गृह के, जिसमें प्रतिवादी मामूली तौर से निवास करता है या कारबार करता है या अभिलाभ के लिए स्वयं काम करता है, बाहरी द्वार पर या किसी अन्य सहजदृश्य भाग पर समन की एक प्रति लगाएगा और तब वह मूल प्रति को उस पर पृष्ठांकित या उससे उपाबद्ध ऐसी रिपोर्ट के साथ, जिसमें यह कथित होगा कि उसने प्रति को ऐसे लगा दिया है और वे कौन सी परिस्थितियां थीं जिनमें उसने ऐसा किया, कथित होंगी, और जिसमें उस व्यक्ति का (यदि कोई हो) नाम और पता कथित होगा जिसने गृह पहचाना था और जिसकी उपस्थिति में प्रति लगाई गई थी, उस न्यायालय को लौटाएगा जिसने समन निकाला था ।
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५५ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
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