सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेश ७ :
नियम २-क :
१.(जहां वाद में ब्याज ईप्सित है :
१) जहां वादी ब्याज की ईप्सा करता है, वहां वादपत्र में उपनियम (२) और उपनियम (३) के अधीन उपवर्णित ब्यौरे के साथ उस प्रभाव का एक कथन अंतर्विष्ट किया जाएगा ।
२) जहां वादी ब्याज की ईप्सा करता है, वहां वादपत्र में यह कथन किया जाएगा कि क्या वादी सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ (१९०८ का ५) की धारा ३४ के अर्थान्तर्गत किसी वाणिज्यिक संव्यवहार के संबंध में ब्याज की ईप्सा कर रहा है और इसके अतिरिक्त, यदि वादी, ऐसा किसी संविदा के निबंधनों के अधीन या किसी अधिनियम के अधीन कर रहा है, तो उस दशा में वादपत्र में उस अधिनियम को विनिर्दिष्ट किया जाएगा या यदि वह ऐसा किसी अन्य आधार पर कर रहा है तो उस आधार का कथन किया जाएगा ।
३) अभिवचनों में निम्नलिखित का भी कथन किया जाएगा, -
क) ऐसी दर, जिस पर ब्याज का दावा किया गया है;
ख) ऐसी तारीख, जिससे उसका दावा किया गया है;
ग) ऐसी तारीख, जिसको उसकी संगणना की गई है;
घ) संगणना की तारीख को दावा किए गए ब्याज की कुल रकम; और
ङ) दैनिक दर, जिस पर उस तारीख के पश्चात् ब्याज् प्रोद्भूत होता है ।)
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१. २०१६ के अधिनियम सं. ४ की धारा १६ और अनुसूची द्वारा अन्त:स्थापित ।
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