गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
अध्याय ६ :
आनुवंशिकी सलाह केन्द्रों, आनुवंशिकी प्रयोगशालाओं और आनुवंशिकी क्लिनिकों का रजिस्ट्रीकरण :
धारा १८ :
१.(आनुवंशिकी सलाह केन्द्रों, आनुवंशिकी प्रयोगशालाओं का आनुवंशिकी क्लिनिकों का रजिस्ट्रीकरण :
(१) कोई भी व्यक्ति, प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग निवारण) संशोधन अधिनियम, २००२ के प्रारंभ के पश्चात कोई आनुवंशिकी सलाह केंद्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक, जिसके अंतर्गत ऐसा क्लिनिक, प्रयोगशाला या केंद्र भी है, जिसमें अल्टड्ढासाउंड मशीन या इमेजिंग मशीन या स्कैनर या कोई अन्य ऐसी प्रौद्योगिकी है, जो भ्रूण के लिंग का अवधारण करने और लिंग का चयन करने में समर्थ है, या उनमें से कोई सेवाएं प्रदान करता है तब तक नहीं खोलेगा जब तक कि ऐसा केंद्र, प्रयोगशाला या क्लिनिक इस अधिनियम के अधीन सम्यक रूप से रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाता है।)
(२) उपधारा (१) के अधीन रजिस्ट्रीकरण के लिए प्रत्येक आवेदन समुचित अधिकारी को ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से किया जाएगा और उसके साथ ऐसी फीस होगी, जो विहित की जाए।
(३) प्रत्येक आनुवंशिकी सलाह केन्द्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक जो भागत: या अनन्यत: इस अधिनियम के प्रारंभ के ठीक पूर्व धारा ४ में उल्लिखित किसी प्रयोजन के लिए प्रसवपूर्व निदान-तकनीक संबंधी सलाह देने या उनके उपयोग करने में लगा हुआ है, ऐसे प्रारंभ की तारीख से साठ दिन के भीतर रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन करेगा।
(४) धारा ६ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक ऐसा आनुवंशिकी सलाह केन्द्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक जो प्रसवपूर्व निदान-तकनीक संबंधी सलाह देने या उनके उपयोग करने में लगा हुआ है, इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से छह मास की समाप्ति पर, जब तक कि ऐसे केन्द्र, प्रयोगशाला या क्लिनिक द्वारा रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन नहीं किया गया हो और उसका इस प्रकार पृथक्त: या संयुक्तत:, रजिस्ट्रीकरण नहीं किया जाता है अथवा तब जब कि ऐसे आवदेन का निपटारा कर दिया जाता है, इनमें से जो भी पूर्वतर हो, ऐसी किसी तकनीक संबंधी सलाह देना या उनका उपयोग बन्द कर देगा।
(५) कोई आनुवंशिकी सलाह केन्द्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक इस अधिनियम के अधीन तब तक रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा जब तक कि समुचित प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसा केन्द्र, प्रयोगशाला या क्लिनिक ऐसी सुविधाएं प्रदान करने, ऐसे उपस्कर का अनुरक्षण करने और स्तरमान बनाए रखने की स्थिति में हैं, जो विहित किए जाएं।
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१. २००३ के अधिनियम सं०१४ की धारा १७ द्वारा अंत:स्थापित ।
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