गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
धारा ३२ :
नियम बनाने की शक्ति :
(१) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बना सकेगी।
(२) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियमों में निम्नलिखित के लिए उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात:-
१.(एक) धारा ३ की उपधारा (२) के अधीन किसी रजिस्ट्रीकृत आनुवंशिकी सलाह केंद्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक में नियोजित व्यक्तियों के लिए न्यूनतम अर्हताएं।
(एक-क) वह रीति, जिसमें धारा ४ की उपधारा (३) के परंतुक के अधीन किसी गर्भवती स्त्री पर पराश्रव्य लेखन करने वाला व्यक्ति क्लिनिक में उसका अभिलेख रखेगा;)
(दो) वह प्ररूप जिसमें गर्भवती स्त्री की धारा ५ के अधीन सहमति अभिप्राप्त की जानी है;
(तीन) धारा ८ की उपधारा (४) के अधीन केन्द्रीय पर्यवेक्षण बोर्ड के सदस्यों द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया;
(चार) पदेन सदस्यों से भिन्न सदस्यों को धारा ९ की उपधारा (५) के अधीन अनुज्ञेय भत्ते ;
(पांच) धारा १७ की उपधारा (८) के परन्तुक के अधीन सलाहकार समिति के किन्हीं दो अधिवेशनों के बीच की अवधि ;
२.(चार-क) आनुवंशिकी सलाह केंद्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला और आनुवंशिकी क्लिनिकों में कार्यरत व्यक्तियों द्वारा पालन की जाने वाली आचार-संहिता जिसे धारा १६ के खंड (चार) के अधीन केन्द्रीय पर्यवेक्षण बोर्ड द्वारा अधिकथित किया जाएगा;
(चार-ख) वह रीति जिसमें राज्य और संघ राज्यक्षेत्र पर्यवेक्षण बोर्डो द्वारा धारा १६क की उपधारा (१) के खंड (चार) के अधीन उक्त अधिनियम के अधीन राज्य में किए गए विभिन्न क्रियाकलापों के संबंध में बोर्ड और केंद्रीय सरकार को रिपोर्ट दी जाएगी ;
(चार-ग) धारा १७क के खंड (ख) के अधीन किसी अन्य मामले में समुचित प्राधिकारी को सशक्त करना;)
(छह) वे निबंधन और शर्ते जिनके अधीन रहते हुए किसी व्यक्ति को सलाहकार समिति में नियुक्त किया जा सकेगा और ऐसी समिति द्वारा धारा १७ की उपधारा (९) के अधीन अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया ;
(सात) वह प्ररूप जिसमें और रीति जिससे धारा १८ की उपधारा (२) के अधीन रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन किया जाएगा और उसके लिए संदेय फीस;
(आठ) धारा १८ की उपधारा (५) के अधीन आनुवंशिकी सलाह केन्द्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाएं, अनुरक्षित किए जाने वाले उपस्कर और बनाए रखे जाने वाले अन्य मानक ;
(नौ) वह प्ररूप जिसमें धारा १९ की उपधारा (१) के अधीन रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र दिया जाएगा;
(दस) वह रीति जिससे और वह अवधि जिसके पश्चात धारा १९ की उपधारा (३) के अधीन रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र का नवीकरण किया जाएगा और ऐसे नवीकरण के लिए संदेय फीस ;
(ग्यारह) वह रीति जिससे धारा २१ के अधीन अपील की जा सकेगी।
(बारह) वह अवधि जिस तक धारा २९ की उपधारा (१) के अधीन अभिलेखों, चार्टो, आदि का परिरक्षण किया जाएगा;
(तेरह) वह रीति जिससे दस्तावेज, अभिलेख, सामग्री आदि का अभिग्रहण किया जाएगा और वह रीति जिससे अभिग्रहण सूची तैयार की जाएगी तथा उस व्यक्ति को दी जाएगी जिसकी अभिरक्षा से ऐसे दस्तावेज, अभिलेख या सामग्री धारा ३० की उपधारा (१) के अधीन अभिगृहीत की गई थी ;
(चौदह) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या विहित किया जाए।
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१. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा २२ द्वारा प्रतिस्थापित ।
२. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा २४ द्वारा अंत:स्थापित ।
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