अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६
धारा २२कक :
१.( केन्द्रीय सरकार की विशेष न्यायालय स्थापित करने की शक्ति :
१) यदि केन्द्रीय सरकार का समाधान हो जाता है कि इस अधिनियम के अधीन और एक से अधिक राज्यों मे किए गए अपराधों के शीघ्र विचारण के लिए उपबंध करने के प्रयोजन के लिए यह आवश्यक है तो वह ऐसे अपराधों के विचारण के लिए और संबंधित उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात् राजपत्र में अधिसूचना द्वारा प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेटों या महानगर मजिस्ट्रेटों का एक या अधिक न्यायालय, स्थापित कर सकेगी ।
२) धारा २२क के उपबंध, जहां तक हो सके, उपधारा (१) के अधीन स्थापित न्यायालयों को उसी प्रकार लागू होंगे जिस प्रकार वे उस धारा के अधीन स्थापित न्यायालयों को लागू होते हैं ।)
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१. १९८६ के अधिनियम सं. ४४ की धारा २२ द्वारा (२६-१-१९८७ से) अंत:स्थापित ।
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