सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक १३ :
भूमि क्रय करने के करार का भंग :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. ता.----------- को वादी और प्रतिवादी ने एक करार किया, जिसकी मूल दस्तावेज इसके साथ उपाबद्ध है ।
(या, ता. ---------- को वादी और प्रतिवादी ने परस्पर करार किया कि वादी ---------- ग्राम में चालीस बीघा भूमि का -------- रुपए में विक्रय प्रतिवादी को करेगा और प्रदिवादी वादी से उसका क्रय करेगा ।)
२. ता.----------- को वादी ने, जो तब सम्पत्ति का आत्यन्तिक स्वामी था (और वह सम्पत्ति सब प्रकार के विल्लंगमों से मुक्त थी ऐसा प्रतिवादी को प्रतीत कराया गया था), करार की गई धनराशि के प्रतिवादी द्वारा दिए जाने पर अन्तरण की एक पर्याप्त लिखत प्रतिवादी को निविदत्त की थी (या उसे प्रतिवादी को एक पर्याप्त लिखत द्वारा अन्तरित करने के लिए तैयार और रजामन्द था और अब भी तैयार और रजामन्द है और इस बात की प्रस्थापना कर चुका है ।)
३. प्रतिवादी ने उस धन का संदाय नहीं किया है ।
(जैसा प्ररुप संख्यांक १ के पैरा ४ और ५ में है, और वह अनुतोष जिसका दावा किया गया है।)
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