सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक १९ :
उस अभिधारी द्वारा जिसे विशेष नुकसान हुआ है, भू-स्वामी के विरुद्ध :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. ता. --------- को प्रतिवादी ने वादी को रजिसस्ट्रीकृत लिखत द्वारा (----------- गली में ------------ संख्यांक वाला गृह ) ---------- वर्ष की अवधि के लिए वादी से यह संविदा करके पट्टे पर दिया था कि वह, अर्थात् वादी, और उसके विधिक प्रतिनिधि उसके कब्जे का शान्तिपूर्ण उपभोग उक्त अवधिपर्यंत करेंगे ।
२. सब शर्ते पूरी कर दी गई और ऐसी सब आवश्यक बातें घटित हुई है जिनसे वादी यह वाद चलाने का हकदार हो जाता है ।
३. उक्त अवधि के दौरान में ता. ------------- को च छ ने जो उक्त गृह का विधिपूर्ण स्वामी है, वादी को वहां से विधिपूर्वक बेदखल कर दिया और अब भी उसने उसका कब्जा वादी को देने से रोक रखा है ।
४. वादी इस बात से (उक्त स्थान में दर्जी के रुप में अपना कारबार चलाने से निवारित हो गया, वहां से हटकर दूसरी जगह जाने में उसे ------------- रुपए व्यय करने पडे और ऐसे हट जाने के कारण उसे ज झ और ट ठ की ग्राहकी की हानि हो गई ।)
(जैसा प्ररुप संख्यांक १ के पैरा ४ और ५ में है, और वह अनुतोष जिसका दावा किया गया है ।)
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