सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
अभिवचन :
प्ररुप संख्यांक ४९ :
भागीदारी :
(शीर्षक)
उक्त वादी क ख यह कथन करता है कि -
१. वह और प्रतिवादी ग घ पिछले ----------- वर्ष (या मास) से भागीदारी के लिखित अनुच्छेदों के अधीन (या विलेख के अधीन या मौखिक करार के अधीन) इकट्ठे कारबार करते रहे है ।
२. ऐसे भागीदारों के रुप में वादी और प्रतिवादी के बीच ऐसे कई विवाद और मतभेद व्युत्पन्न हुए है जिनके कारण भागीदारी का कारबार भागीदारों के फायदाप्रद रुप में चलाना असम्भव हो गया है । (या प्रतिवादी ने भागीदारी के अनुच्छेदों के निम्नलिखित भंग किए है -
१)
२)
३) ।)
(जैसा प्ररुप संख्यांक १ के पैरा ४ और ५ में है ।)
५. वादी दावा करता है कि -
१) भागीदारी का विघटन किया जाए ;
२) लेखा लिया जाए ;
३) रिसीवर नियुक्त किया जाए ।
(कुपया ध्यान दें - किसी भी भागीदारी के परिसमापन के वादों में, विघटन के लिए दावा छोड दिया जाए, और उसके स्थान पर एक पैरा जोड दिया जाए, जिसमें भागीदारी का विघटन कर दिए जाने के तथ्य कथित हों ।)
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।