लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण नियम २०१२
नियम ७ :
प्रतिकर -
१) विशेष न्यायालय, समुचित मामलों में स्वप्रेरणा से या बालक द्वारा या उसकी और से फाइल किए गए आवेदन पर प्रथम इत्तला रिपोर्ट के रजिस्टड्ढीकरण के पश्चात् किसी भी स्तर पर बालक के अनुतोष या पुनर्वास की तुरंत आवश्यकता की पूर्ति के लिए अंतरिम प्रतिकर का आदेश पारित कर सकेगा। बालक को संदत्त ऐसे अंतरिम प्रतिकर को अंतिम प्रतिकर यदि कोई हों, को विरूद्ध समायोजित किया जाएगा।
२) विशेष न्यायालय, स्वप्रेरणा से या पीडित द्वारा या उसकी और से फाइल किए गए किसी आवेदन पर जहां अभियुक्त को दोषसिद्ध किया गया है या जहां मामले का परिणाम दोषमुक्ति या उन्मोचन है या अभियुक्त का पता नहीं लगा है या पहचान नहीं की गई है और विशेष न्यायालय की राय में बालक ने उक्त अपराध के परिणामस्वरूप हानि या क्षति उठाई है तो प्रतिकर अधिनिर्णीत करने की सिफारिश कर सकेगा।
३) जहां विशेष न्यायालय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ३५७ क की उपधारा (२) और उपधारा (३) के साथ पठित अधिनियम की धारा ३३ की उपधारा (८) के अधीन पीडित को प्रतिकर अधिनिर्णीत करने का निदेश देता है तो पीिडत को हुई हानि या क्षति से संबंधित सभी सुसंगत कारणों पर विचार करेगा जिसके अंतर्गत निम्नलिखित भी है :-
एक) दुरूपयोग का प्रकार, अपराध की संगीनता और बालक द्वारा उठाई गई मानसिक और शारीरिक अपहानि और क्षति की गंभीरता;
दो) शारीरिक और या मानसिक स्वास्थ्य के लिए उस पर उपगत या उपगत किए जाने के लिए संभाव्य व्यय;
तीन) अपराध के परिणामस्वरूप शैक्षिक अवसरों की हानि जिसके अंतर्गत मानसिक आघात, शारीरिक क्षति, चिकित्सा उपचार, अपराध के अन्वेषण और विचारण के कारण या किसी अन्य कारण से विद्यालय से अनुपस्थिति भी है;
चार) अपराध के परिणामस्वरूप नियोजन की हानि जिसके अंतर्गत मानसिक आघात, शारीरिक क्षति, चिकित्सा उपचार, अपराध के अन्वेषण और विचारण के कारण या किसी अन्य कारण से नियोजन के स्थान से अनुपस्थिति भी है;
पाँच) अपराधी के साथ बालक का संबंध, यदि कोई हो;
छह) क्या ऐसा दुरूपयोग एक अकेली घटना थी या ऐसा दुरूपयोग अलग-अलग समय पर बार-बार पर होता रहा;
सात) क्या बालक अपराध के परिणामस्वरूप गर्भवती हो गई है;
आँठ) क्या बालक अपराध के परिणामस्वरूप किसी लैंगिक पारेषित रोग (एसटीडी) से संसर्ग-प्राप्त हो गया है;
नौ) क्या बालक अपराध के परिणामस्वरूप ह्यूमन इम्यूनोडेफियंसी वायरस (एचआईवी) से संसर्ग-प्राप्त हो गया है;
ुदस) अपराध के परिणामस्वरूप बालक द्वारा वहन की गई कोई भी नि:शक्तता;
ग्यारह) उस बालक की वित्तीय स्थिति जिसके विरूद्ध अपराध किया गया है जिससे उसके पुनर्वास की आवश्यकता को अवधारित किया जा सके;
ुबारह) कोई अन्य कारण जो विशेष न्यायालय सुसंगत समझे।
४) विशेष न्यायालय द्वारा अधिनिर्णीत प्रतिकर राज्य सरकार द्वारा पीडित के लिए प्रतिकर निधि या उसके द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ३५७ क या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन पीडित के प्रतिकर और पुनर्वास के प्रयोजनों के लिए स्थापित कोई अन्य स्कीम या निधि से किया जाना है या जहां ऐसी निधि या स्कीम नहीं है वहां राज्य सरकार द्वारा किया जाना है।
५) राज्य सरकार विशेष न्यायालय द्वारा आदेशित प्रतिकर का संदाय ऐसे आदेश की प्राप्ति के ३० दिन के भीतर करेगी।
६) इन नियमों की कोई बात बालक या उसके माता पिता या संरक्षक या किसी अन्य व्यक्ति, जिस पर बालक का भरोसा और विश्वास है, को केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के किन्हीं अन्य नियमों और स्कीम के अधीन अनुतोष मांगने के लिए आवेदन देने से नहीं रोकेगी।
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