लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण नियम २०२०
नियम ६ :
चिकित्सा सहायता और देखरेख :
(१ ) जब भी कोई एसजेपीयू, या स्थानीय पुलिस अधिकारी द्वारा अधिनियम की धारा १९ के अधीन यह सूचना प्राप्त की जाती है कि अधिनियम के अधीन अपराध किया गया है और उसका यह समाधान हो जाता है कि जिस बालक के खिलाफ अपराध किया गया है उसे तत्काल चिकित्सीय देखरेख और सुरक्षा की आवश्यकता है, तो जैसा भी मामला हो, वह अधिकारी या स्थानीय पुलिस, ऐसी सूचना प्राप्त होने के २४ घंटे के भीतर, ऐसे बालक को सबसे निकट के अस्पताल या चिकित्सीय सेवा सुविधा केन्द्र में उसके चिकित्सीय देखभाल के लिए ले जाने का प्रबंध करेगी: परंतु यदि अधिनियम की धारा ३,५,७, या ९ के अधीन अगर अपराध किया गया हो, तो पीडित को आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए भेजा जाएगा।
(२) माता-पिता या संरक्षक या जिस पर बालक को विश्वास हो की उपस्थिति में आपातकालीन चिकित्सीय सेवा इस तरह प्रदान की जाएगी कि बालक की निजता सुरक्षित रहे।
(३) बालक को आपातकालीन सेवा प्रदान करने वाला कोई भी चिकित्सक, अस्पताल या अन्य चिकित्सीय सुविधा केन्द्र ऐसी सेवा प्रदान करने के पूर्व आवश्यक दस्तावेज के रूप में कानूनी या मजिस्टड्ढेट की अनुमति या अन्य दस्तावेजों की मांग नहीं करेगा।
(४) सेवा प्रदान करने वाला रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक बालक की जांच करने के साथ निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करेगा:
(क) अन्य जननांग चोटों सहित कटने-फटने और चोटों के लिए उपचार, यदि कोई हो;
(ख) पहचान किए गए एसटीडी के लिए प्रोफिलैक्सिस सहित यौन संचारित रोगों (एसटीडी) के संपर्क में आने का उपचारः
(ग) संक्रामक रोग विशेषज्ञों से आवश्यक परामर्श के बाद एचआईवी के लिए प्रोफिलैक्सिस सहित ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के संपर्क में आने का उपचारः
(घ) प्यूबर्टल (तरूण अवस्था प्राप्त योग्य ) बालक और उसके माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति के जिसमें बालक का भरोसा और आत्मविश्वास हो के साथ संभावित गर्भावस्था और आपातकालीन गर्भ निरोधकों के बारे में चर्चा की जानी चाहिए; और
(ड.) जब भी आवश्यक हो, मानसिक या मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं, या अन्य परामर्श, या नशीली दवाओं की लत छुड़ाने की सेवा और कार्यक्रमों के लिए एक रेफरल या परामर्श किया जाना चाहिए।
(५) रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस को बालक की स्थिति के बारे में २४ घंटे के भीतर रिपोर्ट दे सकता है।
(६) आपातकालीन चिकित्सा सेवा प्रदान किए जाने के दौरान संग्रह किए गए कोई भी फॉरेंसिक प्रमाण आवश्यक रूप से अधिनियम की धारा २७ के अधीन संग्रह किए जाने चाहिए।
(७) अगर बच्ची गर्भवती पाई जाती है तो रजिस्ट्रीकृत चिकित्सक बालक और बालक के माता-पिता या संरक्षक उसकी सहायता करने वाले व्यक्ति को गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम, १९७१ और किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, २०१५ के अनुसार विभिन्न विधिपूर्ण विकल्पों के बारे में परामर्श देगा।
(८) अगर बच्चा डड्ढग्स या अन्य नशीले पदार्थों के सेवन करने का शिकार पाया गया है तो बालक की नशा मुक्ति कार्यक्रम तक पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।
(९) यदि बालक (विकलांग जन) दिव्यांग है तो दिव्यांगों का अधिकार अधिनियम, २०१६ (२०१६ का ४९) के उपबंधों के अधीन उसकी समुचित उपाय और देखरेख की जाएगी ।
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