सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट ख :
आदेशिका :
प्ररुप संख्यांक १ :
वाद निपटारे के लिए समन (आदेश ५ के नियम १ और ५) :
(शीर्षक)
प्रेषिती -
----------
(नाम, वर्णन और निवास-स्थान)
--------- ने आपके विरुद्ध ------------- के लिए वाद संस्थित किया है । आपको इस न्यायालय में तारीख ------- को दिन में -------- बजे दावे का उत्तर देने के लिए उपसंजात (हाजिर) हाने के लिए समन किया जाता है आप न्यायालय में स्वयं या किसी ऐसे प्लीडर द्वारा उपसंजात हो सकते हैं जिसे सम्यक् अनुदेश दिए गए हों और जो इस वाद से सम्बन्धित सभी सारवान् प्रश्नों का उत्तर दे सके या जिसके साथ ऐसा कोई व्यक्ति हो जो ऐसे सब प्रश्नों को उत्तर दे सके । न्यायालय में आपकी उपसंजाति के लिए जो दिन नियत किया गया है वह इस वाद के अन्तिम निपटारे के लिए नियत दिन है । इसलिए आपको उस दिन अपने उन सब साक्षियों को या उन सब दस्तावेजों को पेश करने के लिए तैयार रहना चाहिए जिन पर आप अपनी प्रतिरक्षा के लिए निर्भर रहना चाहते है ।
आपको सूचित किया जाता है कि यदि आप ऊपर बताई गई तारीख को इस न्यायालय में उपसंजात नहीं होंगे तो वाद की सुनवाई और उसका निपटारा आपकी अनुपस्थिति में किया जाएगा ।
यह आज तारीख ----------------- को मेरे हस्ताक्षर से और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दिया गया है ।
न्यायाधीश
कृपया ध्यान दे -
१. यदि आपको यह आशंका है कि आपके साक्षी अपनी मर्जी से हाजिर नहीं होंगे तो आप किसी साक्षी को हाजिर होने के लिए विवश करने के लिए और ऐसी कोई दस्तावेज पेश कराने के लिए, जिसे पेश करने लिए साक्षी से अपेक्षा करने का आपको अधिकार है, समन इस न्यायालय से आवेदन करके और आवश्यक व्ययों की रकम जमा करके ले सकते है ।
२. यदि आप दावे को स्वीकार करते हैं तो आपको चाहिए कि वाद के खर्चे के साथ उस दावे का धन न्यायालय में जमा कर दें जिससे कि डिक्री का निष्पादन स्वयं आपके या आपकी सम्पत्ति या दोनों के विरुद्ध न करना पडे ।
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