सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट ख :
आदेशिका :
प्ररुप संख्यांक ५ :
उस व्यक्ति को सूचना जिसके बारे में न्यायालय समझता है कि उसे सहवादी के रुप में जोडा जाना चाहिए (आदेश १ का नियम १०)
(शीर्षक)
प्रेषिती-
---------------
(नाम, वर्णन और निवास-स्थान)
------------ ने -------------- के विरुद्ध ---------- के लिए वाद संस्थित किया है और यह आवश्यक प्रतीत होता है कि उक्त वाद में आपको वादी के रुप में इसलिए जोडा जाए कि न्यायालय उससे जुडे हुए सब प्रश्नों का प्रभावी तौर पर और पूर्ण रुप से न्यायानिर्णयन कर सके और उन्हें निपटा सके ।
आपको सूचित किया जाता है कि आप ता. ------------- को या उसके पूर्व इस न्यायालय को बताएं कि क्या आप इस प्रकार जोडे जाने के लिए सहमत है ।
यह आज ता.------------ को मेरे हस्ताक्षर से और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई है ।
न्यायाधीश।
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