Categories: "Indian Laws in Hindi"
आदेश ८ नियम ७ : पृथक् आधारों पर आधारित प्रतिरक्षा या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ७ : पृथक् आधारों पर आधारित प्रतिरक्षा या मुजरा : जहां प्रतिवादी पृथक् और सुभिन्न तथ्यों पर आधारित प्रतिरक्षा के या मुजरा के १.(या प्रतिदावे के) कई सुभिन्न आधारों पर निर्भर करता है वहां उनका कथन जहां तक हो सके,… more »
आदेश ८ नियम ६-छ : लिखित कथन संबंधी नियमों का लागू..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-छ : १.( लिखित कथन संबंधी नियमों का लागू होना : प्रतिवादी द्वार दिए गए लिखित कथन से सम्बन्धित नियम प्रतिदावे के उत्तर में फाइल किए गए लिखित कथन को भी लागू होंगे ।) -------- १. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५८… more »
आदेश ८ नियम ६-च : जहां प्रतिदावा सफल होता है वहां..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-च : १.(जहां प्रतिदावा सफल होता है वहां प्रतिवादी को अनुतोष : जहां किसी वाद में वादी के दावे के विरुद्ध प्रतिरक्षा के रुप में मुजरा या प्रतिदावा सिद्ध कर दिया जात है और कोई ऐसा अतिशेष पाया जाता है जो,… more »
आदेश ८ नियम ६-ङ : प्रतिदावे का उत्तर देने में वादी..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-ङ : १.(प्रतिदावे का उत्तर देने में वादी द्वारा व्यतिक्रम : यदि वादी प्रतिवादी द्वार किए गए प्रतिदावे का उत्तर प्रस्तुत करने में व्यतिक्रम करता है तो न्यायालय वादी के विरुद्ध उस प्रतिदावे के सम्बन्ध में जो उसके… more »
आदेश ८ नियम ६-घ : वाद के बन्द कर दिए जाने का..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-घ : १.(वाद के बन्द कर दिए जाने का प्रभाव : यदि किसी ऐसे मामले में जिसमें प्रतिवादी कोई प्रतिदावा उठाता है, वादी का वाद रोक दिया जाता है, बन्द या खारिज कर दिया जाता है तो ऐसा होने पर भी प्रतिदावे पर कार्यवाही… more »
आदेश ८ नियम ६-ग : प्रतिदावे का अपवर्जन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-ग : १.(प्रतिदावे का अपवर्जन : जहां प्रतिवादी कोई प्रतिदावा उठाता है और वादी यह दलील देताहै कि उसके द्वारा उठाए गए दावे का निपटारा प्रतिदावे के रुप में नहीं वरन् स्वतंत्र वाद में किया जाना चाहिए, वहां वादी… more »
आदेश ८ नियम ६-ख : प्रतिदावे का कथन किया जाना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-ख : १.(प्रतिदावे का कथन किया जाना : जहां कोई प्रतिवादी, प्रतिदावे के अधिकार का समर्थन करने वाले किसी आधार पर निर्भर करता है वहां वह अपने लिखित कथन में यह विनिर्दिष्टत: कथन करेगा कि वह ऐसा प्रतिदावे के रुप में… more »
आदेश ८ नियम ६-क : प्रतिवादी द्वारा प्रतिदावा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-क : १.(प्रतिवादी द्वारा प्रतिदावा : १) वाद में प्रतिवादी नियम ६ के अधीन मुजरा के अभिवचन के अपने अधिकार के अतिरिक्त वादी के दावे के विरुद्ध प्रतिदावे के रुप में किसी ऐसे अधिकार या दावे को, जो वादी के विरुद्ध… more »
आदेश ८ नियम ६ : मुजरा की विशिष्टियां लिखित कथन में..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६ : मुजरा की विशिष्टियां लिखित कथन में दी जाएंगी : १) जहां तक धन की वसूली के वाद में प्रतिवादी न्यायालय की अधिकारिता की धन-संबंधी सीमाओं से अनधिक धन की कोई अभिनिश्चित राशि जो वह वादी से वैध रुप से वसूल कर सकता… more »
आदेश ८ नियम ५ : विनिर्दिष्टत: प्रत्याख्यान :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ५ : विनिर्दिष्टत: प्रत्याख्यान : १.(१) यदि वादपत्र में के तथ्य संबंधी हर अभिकथन का विनिर्दिष्टत: यह आवश्यक विवक्षा से प्रत्याख्यान नहीं किया जाता है या प्रतिवादी के अभिवचन में यह कथन कि वह स्वीकार नहीं किया जाता… more »