Category: "अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६"
धारा २५ : निरसन और व्यावृत्तियां :
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २५ : निरसन और व्यावृत्तियां : १) इस अधिनियम की धारा १ से भिन्न उपबन्धों के किसी राज्य में प्रवृत्त होने की तारीख से १.(व्यक्तियों) के अनैतिक व्यापार के दमन से अथवा वेश्यावृत्ति के निवारण से सम्बन्धित सब राज्य… more »
धारा २४ : अधिनियम का कुछ अन्य अधिनियमों का अल्पीकारक..
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २४ : अधिनियम का कुछ अन्य अधिनियमों का अल्पीकारक न होना : इस अधिनियम की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह सुधार विद्यालय अधिनियम १८९७ (१८९७ का ८) या उक्त अधिनियम को उपांतरित करने के लिए अधिनियमित या… more »
धारा २३ : नियम बनाने की शक्ति :
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २३ : नियम बनाने की शक्ति : १) राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी । २) विशिष्टत: और पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव… more »
धारा २२ख : मामलों का संक्षिप्त विचारण करने करने की..
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २२ख : मामलों का संक्षिप्त विचारण करने करने की न्यायालयों की शक्ति : दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार, यदि वह ऐसा करना आवश्यक समझे तो यह निदेश दे सकेगी कि इस अधिनियम… more »
धारा २२कक : केन्द्रीय सरकार की विशेष न्यायालय स्थापित..
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २२कक : १.( केन्द्रीय सरकार की विशेष न्यायालय स्थापित करने की शक्ति : १) यदि केन्द्रीय सरकार का समाधान हो जाता है कि इस अधिनियम के अधीन और एक से अधिक राज्यों मे किए गए अपराधों के शीघ्र विचारण के लिए उपबंध करने के… more »
धारा २२क : १.(विशेष न्यायालयों की स्थापना करने की शक्ति :
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २२क : १.(विशेष न्यायालयों की स्थापना करने की शक्ति : १) यदि राज्य सरकार का समाधान हो जाता है कि किसी जिला या महानगर क्षेत्र में इस अधिनियम के अधीन अपराधों के शीघ्र विचारण का उपबन्ध करने के प्रयोजन के लिए यह… more »
धारा २२ : विचारण :
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २२ : विचारण : १.(किसी महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट से) अवर कोई न्यायालय धारा ३, धारा ४, धारा ५, धारा ६, धारा ७ या धारा ८ के अधीन किसी अपराध का विचारण नहीं करेगा । -------- १. १९७८ के… more »
धारा २१क : १.(अभिलेखों का पेश किया जाना :
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २१क : १.(अभिलेखों का पेश किया जाना : प्रत्येक व्यक्ति या प्राधिकारी जो धारा २१ की उपधारा (३) के अधीन कोई सुरक्षा गृह या सुधार संस्था, यथास्थिति, स्थापित करने या अनुरक्षित रखने के लिए अनुज्ञप्त है, जब कभी… more »
धारा २१ : संरक्षा गृह :
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २१ : संरक्षा गृह : १) राज्य सरकार इस अधिनियम के अधीन १.(इतने संरक्षा गृह और इतनी सुधार संस्थाएं जितनी वह ठीक समझती है स्वविवेकानुसार स्थापित कर सकेगी और ऐसे गृह और संस्थाएं जब स्थापित हो जाएं तब ऐसी रीति से… more »
धारा २० : वेश्या का किसी स्थान से हटाया जाना :
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २० : वेश्या का किसी स्थान से हटाया जाना : १) कोई मजिस्ट्रेट यह इत्तिला मिलने पर कि उसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में रहने वाला या प्राय: जाने वाला कोई १.(व्यक्ति) वेश्या है, प्राप्त… more »