Category: "सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८"
धारा ६ : धन-सम्बन्धी अधिकारिता :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ६ : धन-सम्बन्धी अधिकारिता : अभिव्यक्त रुप से जैसा उपबन्धित है उसके सिवाय, इसकी किसी बात का प्रभाव ऐसा नहीं होगा कि वह किसी न्यायालय को उन वादों पर अधिकारिता दे दे जिनकी रकम या जिनकी विषय-वस्तु का मूल्य उसकी मामूली… more »
धारा ५ : संहिता का राजस्व न्यायालयों को लागू होना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ५ : संहिता का राजस्व न्यायालयों को लागू होना : १) जहां कोई राजस्व न्यायालय प्रक्रिया सम्बन्धी ऐसी बातों में जिन पर ऐसे न्यायालयों को लागू कोई विशेष अधिनियमिति मौन है, इस संहिता के उपबन्धों द्वारा शासित है वहां राज्य… more »
धारा ४ : व्यावृत्तियां :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ४ : व्यावृत्तियां : १) इसके प्रतिकूल किसी विनिर्दिष्ट उपबन्ध के अभाव में, इस संहिता की किसी भी बात के बारे ेमें यह नहीं समझा जाएगा कि वह किसी विशेष या स्थानीय विधि को,जो अब प्रवृत्त है या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि… more »
धारा ३ : न्यायालयों की अधीनस्थता :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ३ : न्यायालयों की अधीनस्थता : इस संहिता के प्रयोजनों के लिए, जिला न्यायालय उच्च न्यायालय के अधीनस्थ है और जिला न्यायालय से अवर श्रेणी का हर सिविल न्यायालय और लघुवाद न्यायालय, उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय के अधीनस्थ है… more »
धारा २ : परिभाषाएं :.सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा २ : परिभाषाएं : इस अधिनियम में, जब तक कि विषय या संदर्भ में कोई बात विरुद्ध न हो, - १) संहिता के अन्तर्गत नियम आते है ; २) डिक्री से ऐसे न्यायनिर्णयन की प्ररुपिक अभिव्यक्ति अभिप्रेत है जो, जहां तक कि वह उसे अभिव्यक्त… more »
धारा १ : संक्षिप्त नाम, ..सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ (१९०८ का ५).१() सिविल न्यायालयों की प्रक्रिया से सम्बन्धित विधियों का समेकन और संशोधन के लिए अधिनियम यह समीचीन है कि सिविल न्यायालयों की प्रक्रिया से सम्बन्धित विधियों का समेकन और संशोधन किया जाए, अत: एतद्द्वारा निम्नलिखित… more »