Category: "भारत का संविधान"
अनुच्छेद ३०६ : (पहली अनुसूची के भाग ख के कुछ राज्यों की व्यापार ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०६ : (पहली अनुसूची के भाग ख के कुछ राज्यों की व्यापार और वाणिज्य पर निर्बंधनों के अधिरोपण की शक्ति ) संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा निरसित । # Indian Constitution in Hindi article 306. #… more »
अनुच्छेद ३०५ : विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०५ : १.(विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति । वहां तक के सिवाय जहां तक राष्ट्रपति आदेश द्वारा अन्यथा निदेश दे अनुच्छेद ३०१ और अनुच्छेद ३०३ की कोई बात किसी विद्यमान विधि के उपबंधों पर… more »
अनुच्छेद ३०४ : राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०४ : राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन । अनुच्छेद ३०१ या अनुच्छेद ३०३ में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, - क) अन्य राज्यों १.(या संघ राज्यक्षेत्रों ) से आयात किए गए माल पर… more »
अनुच्छेद ३०३ : व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०३ : व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन । १)अनुच्छेद ३०२ में किसी बात के होते हुए भी, सातवीं अनुसूची की सूचियों में से किसी में व्यापार और वाणिज्य संबंधी किसी प्रविष्टि के आधार पर,… more »
अनुच्छेद ३०२ : व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन ....
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०२ : व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद् की शक्ति । संसद् विधि द्वारा, एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग के भीतर व्यापार, वाणिज्य या समागम की स्वतंत्रता पर ऐसे… more »
अनुच्छेद ३०१ : व्यापार ,वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता ।
भारत का संविधान : भाग १३ : भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम । अनुच्छेद ३०१ : व्यापार ,वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता । इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र व्यापार, वाणिज्य और समागम अबाध होगा ।… more »
अनुच्छेद ३०० क : विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को ....
भारत का संविधान : १.(अध्याय ४ : संपत्ति का अधिकार : अनुच्छेद ३०० क : विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना । किसी व्यक्ती को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं । ---------- १.संविधान… more »
अनुच्छेद ३०० : वाद और कार्यवाहियां ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०० : वाद और कार्यवाहियां । १)भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी या उस पद वाद लाया जा सकेगा और ऐसे उपबंधों के अधीन रहते हुए, जो इस… more »
अनुच्छेद २९९ : संविदाएं । १) संघ की या राज्य की कार्यपालिका ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९९ : संविदाएं । १) संघ की या राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग करते हुए की गई सभी संविदाएं, यथास्थिति, राष्ट्रपति द्वारा या उस राज्य के राज्यपाल १.(*) द्वारा की गई कही जाएंगी और वे सभी संविदाएं और संपत्ति संबंधी… more »
अनुच्छेद २९८ : १.(व्यापार करने आदि की शक्ति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९८ : १.(व्यापार करने आदि की शक्ति । संघ की और प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, व्यापार या कारबार करने और किसी प्रयोजन के लिए संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन तथा संविदा करने पर, भी होगा : परंतु - क) जहां तक ऐसा… more »