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धारा १०२ : शरीर की निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा १०२ : शरीर की निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना : शरीर की निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ(शुरु) हो जाता है, जब अपराध करने के प्रयत्न या धमकीं से शरीर के संकट की आशंका पैदा… more »