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धारा १६ : १.(शून्य और शून्यकरणीय विवाहों के अपत्यों की धर्मजता :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा १६ : १.(शून्य और शून्यकरणीय विवाहों के अपत्यों की धर्मजता : १) इस बात के होते हुए भी कि विवाह धारा ११ के, अधीन अकृत और शून्य है, ऐसे विवाह का ऐसा अपत्य धर्मज होगा, जो विवाह के विधिमान्य होने की दशा में धर्मज होता चाहे ऐसे… more »