धारा २१ख : १.(इस अधिनियम के अधीन अर्जियों के विचारण ...
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २१ख : १.(इस अधिनियम के अधीन अर्जियों के विचारण और निपटारे से सम्बन्धित विशेष उपबन्ध : १) इस अधिनियम के अधीन अर्जी का विचारण, जहां तक कि न्याय के हित से संगत रहते हुए उस विचारण के बारे से साध्य हो, दिन प्रतिदिन तब तक निरन्तर… more »
धारा २१क : १.(कुछ मामलों में अर्जियों को अन्तरित करने की शक्ति :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २१क : १.(कुछ मामलों में अर्जियों को अन्तरित करने की शक्ति : (१) जहां- (क) इस अधिनियम के अधीन कोई अर्जी अधिकारिता रखने वाले जिला न्यायालय में विवाह के किसी पक्षकार द्वारा धारा १० के अधीन न्यायिक पृथक्करण की डिक्री के लिए या… more »
धारा २१ : १९०८ के अधिनियम संख्यांक ५ का लागू होना :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २१ : १९०८ के अधिनियम संख्यांक ५ का लागू होना : इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट अन्य उपवन्धों के और उन नियमों के जो उच्च न्यायालय इस निमित्त बनाए, अध्यधीन यह है कि इस अधिनियम के अधीन सब कार्यवाहियां जहां तक हो सकेगा सिविल… more »
धारा २० : अर्जियों की अन्तर्वस्तु और सत्यापन :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा २० : अर्जियों की अन्तर्वस्तु और सत्यापन : (१) इस धारा के अधीन उपस्थापित हर अर्जी उन तथ्यों को जिन पर अनुतोष का दावा आधारित हो इतने स्पष्ट तौर पर कथित करेगी जितना उस मामले की प्रकृति अनुज्ञात करे १.(और धारा ११ के अधीन अर्जी… more »
धारा १९ : १.(वह न्यायालय जिसमें अर्जी उपस्थापित की जाएगी :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ अधिकारिता और प्रक्रिया : धारा १९ : १.(वह न्यायालय जिसमें अर्जी उपस्थापित की जाएगी : इस अधिनियम के अधीन हर अर्जी उस जिला न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी जिसकी मामूली आरंभिक सिविल अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर - (एक) विवाह… more »
धारा १८ : हिन्दू विवाह की कतिपय अन्य शर्तों के उल्लंघन के लिए दण्ड :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा १८ : हिन्दू विवाह की कतिपय अन्य शर्तों के उल्लंघन के लिए दण्ड : हर व्यक्ति जो अपना कोई ऐसा विवाह उपाप्त करेगा जो धारा ५ के खण्ड (तीन), (चार) १.(और (पाच)) में विनिर्दिष्ट शर्तों के उल्लंघन में इस अधिनियम के अधीन अनुष्ठापित… more »
धारा १७ : द्विविवाह के लिए दंड :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा १७ : द्विविवाह के लिए दंड : यदि इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात दो हिन्दुओं के बीच अनुष्ठापित किसी विवाह की तारीख पर ऐसे विवाह के किसी पक्षकार का पति या पत्नी जीवित था या थी तो ऐसा विवाह शून्य होगा और भारतीय दंड संहिता… more »
धारा १६ : १.(शून्य और शून्यकरणीय विवाहों के अपत्यों की धर्मजता :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा १६ : १.(शून्य और शून्यकरणीय विवाहों के अपत्यों की धर्मजता : १) इस बात के होते हुए भी कि विवाह धारा ११ के, अधीन अकृत और शून्य है, ऐसे विवाह का ऐसा अपत्य धर्मज होगा, जो विवाह के विधिमान्य होने की दशा में धर्मज होता चाहे ऐसे… more »
धारा १५ : कब विवाह-विच्छेद प्राप्त व्यक्ति पुन:विवाह कर सकेंगे :
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा १५ : कब विवाह-विच्छेद प्राप्त व्यक्ति पुन:विवाह कर सकेंगे : जब कि विवाह-विच्छेद की डिक्री द्वारा विवाह विघटित कर दिया गया हो और या तो डिक्री के विरुद्ध अपील करने का कोई अधिकार ही न हो या यदि अपील का ऐसा अधिकार हो तो अपील… more »
धारा १४ : विवाह से एक वर्ष के भीतर विवाह-विच्छेद के लिए ...
हिंदू विवाह अधिनियम १९५५ धारा १४ : विवाह से एक वर्ष के भीतर विवाह-विच्छेद के लिए कोई अर्जी उपस्थापित न की जाएगी : (१) इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कोई भी न्यायालय विवाह-विच्छेद की डिक्री द्वारा विवाह के विघटन की कोई अर्जी ग्रहण… more »