अनुच्छेद ३३२ : राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित ...
भारत का संविधान :
अनुच्छेद ३३२ :
राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण ।
१) १.(*) प्रत्येक राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जातियों के लिए और २.(असम के स्वशासी जिलों की अनुसूचित जनजातियों को छोडकर ) अन्य अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे ।
२)असम राज्य की विधान सभा में स्वशासी जिलों के लिए भी स्थान आरक्षित रहेंगे ।
३)खंड (१) के अधीन किसी राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या
का अनुपात, उस विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा जो, यथास्थिति, उस राज्य की अनुसूचित जातियों की अथवा उस राज्य की या उस राज्य के भाग की अनुसूचित जनजातियों की, जिनके संबंध में स्थान इस प्रकार आरक्षित हैं, जनसंख्या का अनुपात उस राज्य की कुल जनसंख्या से है ।
३.( ३क) खंड में किसी बात के होते हुए भी, सन् २(२०२६) के पश्चात् की गई पहली जनगणना के आधार पर, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और नागालैंड राज्यों की विधान सभाओं में स्थानों की संख्या के , अनुच्छेद १७० के अधीन , पुन: समायोजन के प्रभावी होने तक, जो स्थान ऐसे किसी राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए जाएंगे, वे -
क) यदि संविधान (सत्तावनवां संशोधन) अधिनियम, १९८७ के प्रवृत्त होने की तारीख को ऐसे राज्य की विद्यमान विधान सभा में (जिसे इस खंड में इसके पश्चात् विद्यमान विधान सभा कहा गया है ) सभी अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा धारित हैं तो, एक स्थान को छोडकर सभी स्थान होंगे; और
ख) किसी अन्य दशा में, उतने स्थान होंगे, जिनकी संख्या का अनुपात, स्थानों की कुल संख्या के उस अनुपात से कम नहीं होगा जो विद्यमान विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों की (उक्त तारीख को यथाविद्यमान ) संख्या का अनुपात विद्यमान विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या से है । )
५.(३ ख) खंड (३) में किसी बात के होते हुए भी, सन् ४.(२०२६) के पश्चात् की गई पहली जनगणना के आधार पर, त्रिपुरा राज्य की विधान सभा में स्थानों की संख्या के, अनुच्छेद १७० के अधीन, पुन: समायोजन के प्रभावी होने तक, जो स्थान उस विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए जाएंगे वे उतने स्थान होंगे जिनकी संख्या का अनुपात, स्थानो की कुल संख्या के उस अनुपात से कम नहीं होगा जो विद्यमान विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों की, संविधान (बहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, १९९२ के प्रवृत्त होने की तारीख को यथाविद्यमान संख्या का अनुपात उक्त तारीख को उस विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या से है । )
४) असम राज्य की विधान सभा में किसी स्वशासी जिले के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या का अनुपात, उस विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या के उस अनुपात से कम नहीं होगा जो उस जिले की जनसंख्या का अनुपात उस राज्य की कुल जनसंख्या से है ।
५) १.(*) असम के किसी स्वशासी जिले के लिए आरक्षित स्थानों के निर्वाचन-क्षेत्रों में उस जिले के बाहर का कोई क्षेत्र समाविष्ट नहीं होगा ।
६) कोई व्यक्ति जो असम राज्य के किसी स्वशासी जिले की अनुसूचित जनजातिय का सदस्य नहीं है, उस राज्य की विधान सभा के लिए ६.(***) उस जिले के किसी निर्वाचन-क्षेत्र से निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा:
७.(परंतु असम राज्य की विधान सभा के निर्वाचनों के लिए, बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद् क्षेत्र जिला में सम्मिलित निर्वाचन- क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों और गैर-अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व जो उस प्रकार अधिसूचित किया गया था और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिला के गठन से पूर्व विद्यामान था, बनाए रखा जाएगा । )
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१.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा पहली अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट शब्दों का लोप किया गया ।
२.संविधान (इक्यावनवां संशोधन) अधिनियम, १९८४ की धारा ३ द्वारा (१६-६-१९८६ से ) प्रतिस्थापित ।
३.संविधान (सत्तावनवां संशोधन) अधिनियम, १९८७ की धारा २ द्वारा ( २१-९-१९८७ से ) अंत:स्थापित ।
४.संविधान (चौरासीवां संशोधन) अधिनियम, २००१ की धारा ७ द्वारा प्रतिस्थापित ।
५.संविधान (बहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, १९९२ की धारा २ द्वारा ( ५-१२-१९९२ से ) अंत:स्थापित ।
६.पूर्वोत्तर क्षेत्र ( पुनर्गठन ) अधिनियम, १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ७१ द्वारा (२१-१-१९७२ से ) कुछ शब्दों का लोप किया गया ।
७.संविधान (नब्बेवां संशोधन) अधिनियम, २००३ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।
# Indian Constitution in Hindi article 332.
# Constitution of India in hindi article 332.
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