दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय १८ :
सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण :
धारा २३७ :
धारा १९९(२) के अधीन संस्थित मामलों में प्रक्रिया :
१) धारा १९९ की उपधारा (२) के अधीन अपराध का संज्ञान करेन वाला सेशन न्यायालय मामले का विचारण, मजिस्ट्रेट के न्यायालय के समक्ष पुलिस रिपोर्ट से भिन्न आधार पर संस्थित किए गए वारण्ट मामलों के विचारण की प्रक्रिया के अनुसार, करेगा :
परन्तु जब तक सेशन न्यायालय उन कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएँगे, अन्यथा निदेश नहीं देता है उस व्यक्ति की, जिसके विरुद्ध अपराध का किया जाना अभिकथित है अभियोजन के साक्षी के रुप में परिक्षा की जाएगी ।
२)यदि विचारण के दोनों पक्षकारों में से कोई ऐसी वांछा करता है या यदि न्यायालय ऐसा करना ठिक समझता है तो इस धारा के अधीन प्रत्येक विचारण बन्द कमरे में किया जाएगा ।
३)यदि ऐसे किसी मामले में न्यायालय सब अभियुक्तों को या उनमें से किसी को उन्मोचित या दोषमुक्त करता है और उसकी राय है कि उनके या उनमें से किसी के विरुद्ध अभियोग लगाने का उचित कारण नहीं था तो वह उन्मोचन या दोषमुक्ति के अपने आदेश द्वारा (राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या किसी संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक से भिन्न ) उस व्यक्ति को, जिसके विरुद्ध अपराध किया जाना अभिकथित किया गया था, यह निदेश दे सकेगा कि वह कारण दर्शित करे कि वह उस अभियुक्त को या जब ऐसे अभियुक्त एक से अधिक है तब उनमें से प्रत्येक को या किसी को प्रतिकर क्यों न दे ।
४)न्यायालय इस प्रकार निर्दिष्ट व्यक्ति द्वारा दर्शित किसी कारण को लेखबद्ध करेगा और उस पर विचार करेगा और यदि उसका समाधान हो जाता है कि अभियोग लगाने का कोई उचित कारण नहीं था, तो वह एक हजार रुपये से अनधिक इतनी रकम का, जितनी वह अवधारित करे, प्रतिकर उस व्यक्ति द्वारा अभियुक्त को या, उनमें से प्रत्येक को या किसी को, दिए जाने का आदेश, उन कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएँगे, दे सकेगा ।
५)उपधारा (४) के अधीन अधिनिर्णीत प्रतिकर ऐसे वसूल किया जाएगा मानो वह मजिस्ट्रेट द्वारा अधिरोपित किया गया जुर्माना हो ।
६)उपधारा (४) के अधीन प्रतिकर देने के लिए जिस व्यक्ति को आदेश जाता है उसे ऐसे आदेश के कारण इस धारा के अधीन किए गए परिवाद के बारे में किसी सिविल या दांडिक दायित्व से छूट नहीं दी जाएगी :
परन्तु अभियुक्त व्यक्ति को इस धारा के अधीन दी गई कोई रकम, उसी मामले से संबंधित किसी पश्चात्वर्ती सिविल वाद में उस व्यक्ति के लिए प्रतिकर अधिनिर्णीत करते समय हिसाब में ली जाएगी ।
७)उपधारा (४) के अधीन प्रतिकर देने के लिए जिस व्यक्ति को आदेश दिया जाता है वह उस आदेश की अपील, जहाँ तक वह प्रतिकर के संदाय के संबंध में है, उच्च न्यायालय में कर सकता है ।
८)जब किसी अभियुक्त व्यक्ति को प्रतिकर दिए जाने का आदेश किया जाता है, तब उसे ऐसा प्रतिकर, अपील पेश करने के लिए अनुज्ञात अवधि के बीत जाने के पूर्व, या यदि अपील पेश कर दी गई है तो अपील के विनिश्चित कर दिए जाने के पूर्व नहीं दिया जाएगा ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 237.
section 237 Cr.P.C 1973 in hindi,crpc 1973 section 237 in hindi .
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