धारा २५-क : अभियोजन निदेशालय (कार्यवाई संचालन ...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय २ :
दण्ड न्यायालयों और कायालयों का गठन
धारा २५-क :
अभियोजन निदेशालय (कार्यवाई संचालन कार्यालय) :
१)राज्य सरकार, एक अभियोजन निदेशालय स्थापित कर सकेगी, जिसमें एक अभियोजन निदेशक (संचालक) और उतने अभियोजन उपनिदेशक होंगे, जितने वह ठीक समझे ।
२) कोई व्यक्ती अभियोजन निदेशक या अभियोजन उप निदेशक के रुप में नियुक्ती के लिए केवल तभी पात्र होगा यदि वह अधिवक्ता के रुप में कम-से कम दस वर्ष तक विधि व्यवसाय में रहा है और ऐसी नियुक्ति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से की जाएगी ।
३)अभियोजन निदेशालय का प्रधान अभियोजन निदेशक होगा, जो राज्य में गृह विभाग के प्रधान के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कृत्य करेगा ।
४)प्रत्येक अभियोजन उपनिदेशक अभियोजन निदेशक के अधीनस्थ(निम्न) होगा ।
५)राज्य सरकार द्वारा, धारा २४ की, यथास्थिति, उपधारा (१) या उपधारा (८) के अधीन, उच्च न्यायालयों में मामलों का संचालन करने के लिए नियुक्त किया गया प्रत्येक लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक और विशेष लोक अभियोजक, जो अभियोजन निदेशक के अधीनस्थ होगा ।
६)राज्य सरकार द्वारा, धारा २४ की, यथास्थिति, उपधारा (३) या उपधारा (८) के अधीन जिला न्यायालयों में मामलों का संचालन करने के लिए नियुक्त किया गया प्रत्येक लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक और विशेष लोक अभियोजक, और धारा २५ की उपधारा (१) के अधीन नियुक्त किया गया प्रत्येक सहायक लोक अभियोजक, जो अभियोजन उपनिदेशक के अधीनस्थ होगा ।
७)अभियोजन निदेशक और अभियोजन उपनिदेशकों की शक्तियाँ और कृत्य तथा वे क्षेत्र जिनके लिए प्रत्येक अभियोजन उपनिदेशक नियुक्त किया जाएगा, वे होंगे जैसे राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे ।
८)लोक अभियोजक के कृत्यों का पालन करने में,इस धारा के उपबंध राज्य के महाधिवक्ता को लागू नहीं होंगे ।
राज्य संशोधन :
मध्यप्रदेश :
मूल अधिनियम की धारा २५-क के स्थान पर, निम्नलिखित धारा स्थापित की जाए, अर्थात :
धारा २५-क:
अभियोजन संचालनालय :
१)राज्य सरकार, एक संचालक-अभियोजन तथा उतनी संख्या में, जितनी कि वह ठीक समझे, अतिरिक्त संचालक-अभियोजन, संयुक्त संचालक-अभियोजन, उप संचालक-अभियोजन तथा सहायक संचालक-अभियोजन से मिलकर बनने वाला एक अभियोजन संचालनालय स्थापित कर सकेगी ।
२)संचालक-अभियोजन, अतिरिक्त संचालक-अभियोजन, संयुक्त संचालक-अभियोजन, उप संचालक-अभियोजन तथा सहायक संचालक-अभियोजन के पद तथा अन्य पद समय-समय पर यथा संशोधित मध्यप्रदेश लोक अभियोजन (राजपत्रित) सेवा भरती नियम, १९९१ के अनुसार भरे जाएँगे ।
३)अभियोजन संचालनालय का प्रमुख, संचालक-अभियोजन होगा जो राज्य में गृह विभाग के प्रमुख के प्रशासकीय नियंत्रण के अधीन कार्य करेगा ।
४)प्रत्येक अतिरिक्त संचालक-अभियोजन, संयुक्त संचालक-अभियोजन, उप संचालक-अभियोजन तथा सहायक संचालक-अभियोजन तथा उपधारा (२) में विनिर्दिष्ट अन्य पद संचालक-अभियोजन के अधीनस्थ होंगे ।
५)मध्यप्रदेश लोक अभियोजन (राजपत्रित) सेवा भरती नियम, १९९१ के अधीन नियुक्त प्रत्येक लोक अभियोजक और अतिरिक्त लोक अभियोजक संचालक-अभियोजन के अधीनस्थ होंगे तथा उच्च न्यायालय में मामलों का संचालन करने के लिए धारा २४ की उपधारा (१) के अधीन नियुक्त प्रत्येक लोक अभियोजन, तथा अतिरिक्त लोक अभियोजक तथा धारा २४ की उपधारा (८) के अधीन नियुक्त प्रत्येक विशेष लोक अभियोजक महाधिवक्ता के अधीनस्थ होंगे ।
६) जिला न्यायालय में मामलों का संचालन करने के लिए धारा २४ की उपधारा (३) के अधीन नियुक्त प्रत्येक लोक अभियोजक तथा अतिरिक्त लोक अभियोजक तथा धारा २४ की उपधारा (८) के अधीन नियुक्त प्रत्येक विशेष लोक अभियोजक, जिला मजिस्ट्रेट के अधीनस्थ होंगे ।
७)संचालक-अभियोजन की शक्तियाँ और कृत्य ऐसे होंगे जैसे कि राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करें ।
(म.प्र.संशोधन,२०१३(क्र . १८ सन २०१४))।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 25A.
section 25A Cr.P.C 1973 in hindi,crpc 1973 section 25-A in hindi .
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