हिंदू विवाह अधिनियम १९५५
धारा २८ :
१.(डिक्रियों और आदेशों की अपीलें :
१) इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में न्यायालय द्वारा दी गई सभी डिक्रियां, उपधारा (३) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए उसी प्रकार अपीलनीय होंगी जैसे उस न्यायालय द्वारा अपनी आरम्भिक सिविल अधिकारिता के प्रयोग में दी गई डिक्री अपीलीय होती है और ऐसी हर अपील उस न्यायालय में होगी जिसमें उस न्यायालय द्वारा अपनी आरम्भिक सिविल अधिकारिता के प्रयोग में किए गए विनिश्चयों की अपीलें सामान्यत: होती हैं।
(२) धारा २५ या धारा २६ के अधीन किसी कार्यवाही में न्यायालय द्वारा किए गए आदेश उपधारा (३) के उपवन्धों के अधीन रहते हुए, तभी अपीलनीय होंगे जब वे अन्तरिम आदेश न हों और ऐसी हर अपील उस न्यायालय में होंगी जिसमें उस न्यायालय द्वारा अपनी आरंम्भिक सिविल अधिकारिता के प्रयोग में किए गए विनिश्चयों की अपीलें सामान्यतः होती है।
(३) केवल खर्चे के विषय में कोई अपील इस धारा के अधीन नहीं होगी ।
(४) इस धारा के अधीन हर अपील डिक्री या आदेश की तारीख २.(नव्वे दिन की कालावधि) के अन्दर की जाएगी।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १९ द्वारा प्रतिस्थापित।
२. २००३ के अधिनियम सं० ५० की धारा ५ द्वारा प्रतिस्थापित।
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