भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२
अध्याय १० :
साक्षियों की परीक्षा के विषय में :
धारा १३८ :
परीक्षाओं का क्रम :
साक्षियों से प्रथमत: मुख्य परीक्षा होगी, तत्पश्चात् (यदि प्रतिपक्षी ऐसा चाहे तो ) प्रतिपरीक्षा होगी, तत्पश्चात् (यदि उसे बुलाने वाला पक्षकार ऐसा चाहे तो) पुन:परीक्षा होगी ।
परीक्षा और प्रतिपरीक्षा को सुसंगत तथ्यों से संबंधित होना होगा, किन्तु प्रतिपरीक्षा का उन तथ्यों तक सीमित रहना आवश्यक नहीं है, जिनकी साक्षी ने अपनी मुख्य परीक्षा में परिसाक्ष्य दिया है ।
पुन:परीक्षा की दिशा -
पुन:परीक्षा उन बातों के स्पष्टीकरण के प्रति उद्दिष्ट (निदेशित) होगी जो प्रतिपरीक्षा में निर्दिष्ट हुए हो; तथा यदि पुन:परीक्षा में न्यायालय की अनुज्ञा से कोई नई बात प्रविष्ट की गई हो, तो प्रतिपक्षी उस बात के बारे में अतिरिक्त प्रतिपरीक्षा कर सकेगा ।
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