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धारा १०५ : संपत्ती की निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधि..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा १०५ : संपत्ती की निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना : संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार तब प्रारंभ होता है, जब संपत्ति के संकट की युक्तियुक्त(सर्व मान्य) आशंका प्रारंभ होती है । संपत्ति… more »