भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ११० :
यदि दुष्प्रेरित व्यक्ती दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है , तब दुष्प्रेरण का दंड :
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी अपराध का दुष्प्रेरण, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है ।
दण्ड :वही जो दुष्प्रेरित अपराध के लिए है ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :इसके अनुसार कि दुप्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय है ।
जमानतीय या अजमानतीय :इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय है ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :उस न्यायालय द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है ।
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जो कोई किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति ने दुष्प्रेरक के आशय या ज्ञान से भिन्न आशय या ज्ञान से वह कार्य किया हो, तो वह उसी दण्ड से दण्डित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, जो किया जाता यदि वह कार्य दुष्प्रेरक के ही आशय या ज्ञान से , न कि किसी अन्य आशय या ज्ञान से किया जाता ।
#Ipc 1860 in Hindi section 110
#Section 110 of Indin Penal Code 1860 Hindi
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