भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
अध्याय ८ :
लोक प्रशांति के विरुद्ध अपराधों के विषय में :
धारा १४१ :
विधिविरुद्ध जमाव :
पांच या अधिक व्यक्तियों का जमाव विधिविरुद्ध जमाव कहा जाता है, यदि उन व्यक्तियों का, जिनसे वह जमाव गठित हुआ है, सामान्य उद्देश्य हो -
पहला :
१.(केन्द्रीय सरकार को, या किसी राज्य सरकार को, या संसद को या किसी राज्य के विधान मण्डल,) को या किसी लोक सेवक को, जबकि वह ऐसे लोक सेवक की विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग कर रहा हो, आपराधिक बल द्वारा या आपराधिक बल के प्रदर्शन द्वारा, आतंकित करना, अथवा
दुसरा :
किसी विधि के, या किसी वैध (विधि अनुकूल) आदेशिका के, निष्पादन (पालन) का प्रतिरोध करना, अथवा
तीसरा :
किसी रिष्टी (हानी) या आपराधिक अतिचार या अन्य अपराध का करना, अथवा
चौथा :
किसी व्यक्ती पर आपराधिक बल द्वारा या आपराधिक बल के प्रदर्शन द्वारा, किसी संपत्ति का कब्जा लेना या अभिप्राप्त करना या किसी व्यक्ती को किसी मार्ग के अधिकार के उपभोग से , या जल के उपभोग करने के अधिकार या अन्य अमूर्त अधिकार से जिसका वह कब्जा रखता हो, या उपभोग करता हो, वंचित करना या किसी अधिकार या अनुमित अधिकार को प्रवर्तित करना, अथवा
पाँचवा :
आपराधिक बल द्वारा या आपराधिक बल के प्रदर्शन द्वारा, किसी व्यक्ती को वह करने के लिए, जिसे करने के लिए वह वैध (विधिके अनुसार) रुप से आबद्ध न हो या उसका लोप करने के लिए, जिसे करने का वह वैध रुप से हकदार हो, विवश करना ।
स्पष्टीकरण :
कोई जमाव, जो इकट्टा होते समय विधिविरुद्ध नहीं था, बाद को विधिविरुद्ध जमाव हो सकेगा ।
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा केन्द्रीय या किसी प्रान्तीय सरकार या विधान-मंडल के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
#Ipc 1860 in Hindi section 141
#Section 141 of Indin Penal Code 1860 Hindi
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