भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा २२५ ख :
१.(जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है, उन दशाओं में विधिपूर्वक पकडने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छडाना :
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : उन दशाओं में, जिनके लिए अन्यथा उपबंध नहीं है, विधिपूर्वक पकडने में प्रतिरोध या बाधा या निकल भागना या छुडाना ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
जो कोई स्वयं अपने या किसी अन्य व्यक्ती के विधिपूर्वक पकडे जाने में साशय कोई प्रतिरोध करेगा या अवैध बाधा डालेगा या किसी अभिरक्षा में से, जिसमें वह विधिपूर्वक निरुद्ध हो, निकल भागेगा या निकल भागने का प्रयत्न करेगा, वह किसी ऐसी दशा में, जिसके लिए धारा २२४ या धारा २२५ या किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि में उपबंध नहीं है, दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।)
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१. १८८६ के अधिनियम सं० १० की धारा २४(१) द्वारा धारा २२५क तथा २२५ख को धारा २२५क, जो १८७० के अधिनियम सं० २७ की धारा ९ द्वारा अन्त:स्थापित की गई थी, के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
#Ipc 1860 in Hindi section 225B
#Section 225b of Indin Penal Code 1860 Hindi
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