भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ३०५ :
शिशु या उन्मत्त व्यक्ती की आत्महत्या का दुष्प्रेरण (उकसाना) :
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : शिशु या उन्मत्त या विपर्यस्तचित्त व्यक्ति या जड व्यक्ति या मत्तता की अवस्था में व्यक्ति द्वारा आत्महत्या किए जाने का दुष्प्रेरण ।
दण्ड :मृत्यु या आजीवन करावास, या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
-------
यदि कोई अठारह वर्ष से कम आयु का कोई व्यक्ती, कोई उन्मत्त व्यक्ती, कोई विपर्यस्त (घबडाहट) चित्त व्यक्ती, कोई जड व्यक्ती, या जो मत्तता की अवस्था में है ऐसा कोई व्यक्ती, आत्महत्या कर ले तो जो कोई ऐसी आत्महत्या के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, वह मृत्यु या १.(आजीवन कारावास), या कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से अधिक की न हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
------
१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
#Ipc 1860 in Hindi section 305
#Section 305 of Indin Penal Code 1860 Hindi
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।