भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ७९ :
विधि द्वारा न्यायानुमत (समर्थित) या तथ्य (वस्तुत:) की भूल के कारण अपने आपको विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य :
जो कोई बात, ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए , जो उसे करने के लिए विधि द्वारा न्यायानुमत हो, या तथ्य की भूल के कारण, न कि विधि के भूल के कारण, सद्भावपूर्वक विश्वास करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा न्यायानुमत (समर्थित) है; वह अपराध नहीं है ।
दृष्टांत :
(क), (य) को ऐसा कार्य करते देखता है, जो (क) को हत्या प्रतीत होता है । (क) सद्भावपूर्वक काम में लाए गए अपने श्रेष्ठ निर्णय के अनुसार उस शक्ति को प्रयोग में लाते हुए, जो विधि ने हत्याकारियों को उस कार्य में पकडने के लिए समस्त व्यक्तियों को दे रखी है, (य) को उचित प्राधिकारियों के समक्ष ले जाने के लिए (य) को अभिगृहीत करता है । (क) ने कोई अपराध नहीं किया है, चाहे तत्पश्चात असल बात यह निकले कि (य) आत्म-प्रतिरक्षा में कार्य कर रहा था ।
#Ipc 1860 in Hindi section 79
#Section 79 of Indin Penal Code 1860 Hindi
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