भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी :
धारा ८७ :
जिससे मृत्यू या घोर अपहति(गंभीर चोट) कारित करने का आशय न हो या उसकी संभाव्यता न हो उसका ज्ञान न हो, इसी सम्मति से किया गया कार्य :
कोई बात या कार्य, जो मृत्यू या घोर उपहति कारित करने के आशय से न की गई हो और जिसके बारे में कार्य करने वाला ज्ञात न हो कि उससे मृत्यू या घोर उपहति कारित होना संभाव्य है, जो उस बात से अठराह वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ती को, जिसने वह अपहानि सहन करने की चाहे अभिव्यक्त चाहे विवक्षित सम्मति दे दी हो, कारित हो या कारित होना कर्ता द्वारा आशयित हो अथवा जिसके बारे में कर्ता को ज्ञात हो कि वह उपर्युक्त जैसे किसी व्यक्ती को, जिसने उस अपहानि की जोखिम उठाने की सम्मति दे दी है, उस बात द्वारा कारित होनी संभाव्य है, किसी ऐसी अपहानि के कारण अपराध नहीं है ।
दृष्टांत :
(क) और (य) आमोदार्थ (मनोरंजन के खातीर) आपस में पट्टेबाजी करने को सहमत होते हैं । इस सहमति में किसी अपहानि को, जो ऐसी पट्टेबाजजी में खेल के नियम के विरुद्ध न होते हुए कारित हो, उठाने की हक एक को सम्मति विवक्षित है, और यदि (क) यथानियम पट्टेबाजी करते हुए (य) को उपहति कारित कर देता है, तो (क) कोई अपराध नहीं करता है ।
#Ipc 1860 in Hindi section 87
#Section 87 of Indin Penal Code 1860 Hindi
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