सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
धारा ६९ :
१.(किसी कम्प्यूटर संसाधन के माध्यम से किसी सूचना के अन्तररोधन या मानिटरिंग या विगूढन के लिए निदेश जारी करने की शक्ति :
१) जहां केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विशेष रूप से प्राधिकृत उसके किसी अधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि भारत की प्रभुता या अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों या लोक व्यवस्था के हित में अथवा उपरोक्त से संबंधित किसी संज्ञेय अपराध के किए जाने में उद्दीपन के निवारण या किसी अपराध के अन्वेषण के लिए ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है, वहां वह उपधारा (२) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, लेखबध्द किए जाने वाले कारणों से आदेश द्वारा समुचित सरकार के किसी अभिकरण को, किसी कम्प्युटर संसाधन में जनित, पारेषित, प्राप्त या भण्डारित किसी सूचना को अंतर्रूध्द या मानीटर करने अथवा विगूढन करने अथवा अंतर्रूध्द या मानीटर कराने या विगूढ न कराने का निदेश दे सकेगी ।
२) प्रक्रिया और रक्षोपाय, जिनके अधीन ऐसा अंतररोधन या मानीटरिंग या विगूढन किया जा सकेगा, वे होंगे, जो विहित किए जाएं ।
३)उपयोगकर्ता या मध्यवर्ती या कम्प्युटर संसाधन का भारसाधक कोई व्यक्ति, उपधारा (१) में निर्दिष्ट किसी अभिकरण द्वारा मांगे जाने पर,निम्नलिखित के लिए सभी सुविधाएं और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा-
क)ऐसी सूचना जनित करने, पारेषित करने, प्राप्त करने या भंडार करने वाले कम्प्यूटर संसाधन तक पहुंच उपलब्ध कराना या पहुंच सुनिश्चित करना; या
ख) यथास्थिति, सूचना को अंतर्रूध्द, मानीटर या विगूढन करना ; या
ग) कम्प्यूटर संसाधन में भंडारित सूचना उपलब्ध कराना ।
४)ऐसा उपयोगकर्ता या मध्यवर्ती या कोई व्यक्ति जो उपधारा (३) में विनिर्दिष्ट अभिकरण की सहायता करने में असफल रहता है, कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।)
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१. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा ३४ द्वारा प्रतिस्थापित ।
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